पटना। बिहार की नई एनडीए सरकार के गठन के बाद मंत्रालयों के बंटवारे ने एक बार फिर राजनीति को गरमा दिया है। शुक्रवार की शाम जब आधिकारिक तौर पर विभागों की घोषणा हुई, तो सबसे ज्यादा चर्चा गृह विभाग को लेकर शुरू हुई क्योंकि यह अहम विभाग 20 साल बाद पहली बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हटकर बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को दिया गया है। सत्ता के इस फेरबदल ने सियासी गलियारों में हलचल बढ़ा दी है।

RJD का आरोप

आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का बयान इस पूरे विवाद को और तेज कर देता है। उन्होंने कहा कि यह वही चक्रव्यूह है जिसकी चेतावनी उनकी पार्टी पहले से देती आ रही थी। उनके मुताबिक, बीजेपी ने शुरुआत से ही नीतीश कुमार को सिर्फ एक चेहरे के रूप में इस्तेमाल करने की रणनीति बनाई थी और अब गृह विभाग देकर उस मंसूबे को अमलीजामा पहना दिया गया है। एजाज का आरोप है कि इस फैसले से यह साफ हो गया है कि जेडीयू और पूरी एनडीए सरकार अब बीजेपी की नीति और विचारों पर चलेगी। उनका कहना था कि 20 साल तक नीतीश के पास रहे विभाग को अचानक छीन लेने से संकेत मिलते हैं कि असली नियंत्रण बीजेपी के हाथ जा चुका है।

कैबिनेट में असंतुलन और आगे की राजनीति

नई कैबिनेट में बीजेपी के 14, जेडीयू के 8, एलजेपी के 2 और अन्य दलों के 1-1 मंत्री शामिल हैं। कई मंत्रियों के पास एक से अधिक विभाग हैं, जो आगे कैबिनेट विस्तार के बाद बदले जा सकते हैं। लेकिन फिलहाल जिस तरह गृह विभाग के फैसले ने राजनीतिक बहस को तेज कर दिया है उससे साफ है कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति और भी उथल-पुथल देखने वाली है।