रायपुर। शासकीय कर्मचारियों के साथ लोन फ्रॉड का खुलासा लल्लूराम डॉट कॉम ने किया था. स्पश एडवाइजर्स और आरवी ग्रुप नामक कंपनियों ने शासकीय कर्मचारियों को लोन की 50 प्रतिशत राशि देकर पूरा लोन कंपनी द्वारा चुकाए जाने का प्रलोभन दिया था. आशंका जताई जा रही है कि 1 साल के भीतर दोनों कंपनियों ने मिलकर लगभग 300 करोड़ का लोन फ्रॉड किया है. इस मामले में रायपुर की कोतवाली थाना पुलिस ने 4 अप्रैल 2025 को 2 महिलाओं समेत 6 मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया. सभी आरोपी जेल में बंद हैं, लेकिन डेढ़ महीने की जांच में पुलिस यह पता नहीं लगा सकी है, कि जमा रकम कहां गई. अब इस घोटाले में SIT जांच की जरूरत महसूस होने लगी है.

फोटो: रायपुर में स्पश कंपनी का बंद पड़ा ऑफिस.

लल्लूराम डॉट कॉम की खबर का हुआ असर

करोड़ों रुपए के लोन फ्रॉड को लेकर लल्लूराम डॉट कॉम ने 28 मार्च को खुलासा किया था. जिसके बाद शिकायत SSP रायपुर के पास पहुंची और उनके निर्देश पर कोतवाली थाने में FIR दर्ज करके 2 महिलाओं विभा वर्मा, पूजा यादव समेत मुख्य आरोपी अभय कुमार गुप्ता उर्फ अभयकांत मुंशी, सुरेन्द्र सिंह करियाम, मनोज कुमार भगत, राकिब हुसैन उर्फ वासु समेत 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. लेकिन डेढ़ महीने में जांच की स्थिति को देखते हुए जमा रकम की बरामदगी और जब्ती के साथ ठोस कार्रवाई के लिए अब राज्य स्तर पर SIT के गठन की जरूरत महसूस की जा रही है. ताकि बैंक समेत अन्य विभागों की भूमिका की जांच करके फर्जीवाड़े में और शामिल लोगों की जिम्मेदारी भी तय की जा सके.

हाईकोर्ट से राहत, लेकिन पीड़ितों को जारी हो रहा नोटिस

जेल में बंद आरोपियों को अभी जमानत नहीं मिली है, लेकिन पीड़ितों को राहत नहीं मिल रही है.  पुलिस अब तक रकम का पता नहीं लगा सकी है और मामला लटका हुआ है. वहीं दूसरी तरफ पीड़ितों को उन बैंकों से लोन किस्त का भुगतान करने लगातार नोटिस जारी किया जा रहा है, जहां से उन्हें लोन राशि प्रदान की गई है. जबकि हाईकोर्ट ने पीड़ितों को राहत के निर्देश दिए हैं. इसकी शिकायत पीड़ितों ने आरबीआई से की है.

बैंकों पर सांठ-गांठ का आरोप

बता दें, पीड़ित शासकीय कर्मचारियों ने RBI से मामले की शिकायत करते हुए बैंकों पर भी सांठ-गांठ कर घोटाला करने का आरोप लगाया है. पीड़ितों ने लिखित शिकायत में बताया है कि उन्हें बगैर बैंक जाए ही लोन जारी कर दिया गया. कंपनी वालों ने फोन कर करके पीड़ितों को गुमराह किया. आधार कार्ड, सैलरी स्लिप और पेन कार्ड गुमराह करके लिए गए. आवेदन आदि सभी कुछ बैंकों से जुड़े कंपनी वालों ने किये. बैंकों ने सीधे लोन प्रकरण मंजूर भी कर लिया गया. कर्ज लेने वालों से केवल मोबाइल फोन पर आई ओटीपी ही मांगी गई थी. खाते में लोन की रकम जमा होते ही आर वी ग्रुप और स्पैश (SPASH) एडवाइजरी वालों ने आधी रकम यह कहते हुए अपने खाते में ट्रांसफर कर ली कि लोन किस्तों का भुगतान कंपनी द्वारा किया जाएगा. 

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ऐसे हुआ फ्रॉड:

सालभर पहले रायपुर के डीएम प्लाजा के पहले माले में एक ऑफिस खुलती है, जिसका नाम है स्पश (Spash) एडवाइजर प्राईवेट लिमिटेड. यहां एक स्कीम शुरू की जाती है, स्कीम ये होती है कि कोई भी शासकीय कर्मचारी यहां अपने दस्तावेज लेकर आएगा और उनके नाम पर लोन लिया जाएगा. स्कीम के तहत जो भी ईएमआई होगी वो पूरी कंपनी पटाएगी और लोन का 50 प्रतिशत उक्त सरकारी कर्मचारी को दे दिए जाएंगे.

उदाहरण के तौर पर ऐसे समझे कि राजा (बदला हुआ नाम) शासकीय कर्मचारी है. उसके कागजों पर 50 लाख रूपए का लोन Spash प्राईवेट लिमिटेड ने दिलवाया. लोन का 25 लाख उक्त कर्मचारी चेक के माध्यम से कंपनी को देगा और कंपनी पूरे 50 लाख की ईएमआई भी पटाएगी. इसी झांसे में आकर कई शासकीय कर्मचारियों ने लोन लिए.

कुछ पीड़ितों को 100 प्रतिशत हुआ नुकसान

कई शासकीय कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने लोन की आधी रकम कंपनी में ही FD करा दी. इससे 50 प्रतिशत जो रकम मिलने वाली थी, वह रकम भी डूब गई. पीड़ितों ने आरबीआई से भी बैंक की भूमिका व लोन प्रकरणों की उच्च्च स्तरीय जांच कराने की मांग की गई है.

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