देहरादून. गोवा में आयोजित 56वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के अन्तर्गत आयोजित IFFI waves film Bazaar-2025 में शनिवार को Knowledge Series का आयोजन किया गया. नॉलेज सीरीज का विषय “Cinemascape Uttarakhand: Stories in the Mountains” रखा गया, जिसमें मुख्य रूप से उत्तराखण्ड के बढ़ते सिनेमाई प्रभाव, नई फिल्म नीति और राज्य में फिल्म निर्माण के लिए विकसित किए जा रहे अनुकूल वातावरण पर चर्चा की गई. सत्र का संचालन निर्देशक, पटकथा लेखक और निर्माता यशस्वी जुयाल द्वारा किया गया. उन्होंने शुरुआत करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड अपनी प्राकृतिक सुंदरता, बेहतरीन लोकेशन और फिल्म-फ्रेंडली वातावरण के कारण आज देश दुनिया के सिनेमा में उभरता हुआ महत्वपूर्ण केंद्र बन रहा है.
सत्र के प्रमुख वक्ता डॉ. नितिन उपाध्याय, संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं नोडल अधिकारी उत्तराखण्ड फ़िल्म विकास परिषद ने राज्य की नई फ़िल्म नीति-2024 के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कुशल नेतृत्व में राज्य की नई फिल्म नीति लागू की गई है, जिसके सार्थक परिणाम सामने आने लगे हैं. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री धामी के निर्देश पर नई फिल्म नीति में फिल्म ईकोसिस्टम विकसित करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. फिल्म परिषद द्वारा सिंगल विंडो ऑनलाइन शूटिंग परमिशन सिस्टम, सब्सिडी संरचना और स्थानीय युवाओं के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, शूटिंग प्रक्रियाओं का सरल, तेज और पारदर्शी होना फ़िल्म निर्माताओं के लिए आकर्षण का केंद्र है.
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डॉ. उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखण्ड अब केवल एक लोकेशन-स्टेट नहीं रहा, बल्कि एक ऐसा प्रोडक्शन फ्रेंडली प्रदेश बनता जा रहा है, जहां कंटेंट क्रिएशन, टैलेंट डेवलपमेंट, फिल्म इन्फ्रास्ट्रक्चर और सरकारी सहयोग समानांतर रूप से आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने हाल के वर्षों में राज्य में बढ़े शूटिंग वॉल्यूम, OTT कंटेंट की उपस्थिति और अंतरराष्ट्रीय प्रोडक्शन कंपनियों की रुचि का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपनी क्षेत्रीय भाषाओं को लेकर भी संवेदनशील है और उनके लिए भी हर स्तर पर सहयोग दिया जा रहा है.
सत्र में अभिनेता, निर्देशक और निर्माता प्रियांशु पैन्यूली ने अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने बताया कि उनकी पहली फीचर फिल्म जागर को उत्तराखंड सरकार से भरपूर सहयोग मिला है. इससे नए फिल्म निर्माताओं को प्रोत्साहन मिलता है. साथ ही राज्य अब नई कहानियों, युवा फिल्मकारों और स्वतंत्र सिनेमा को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि फिल्म नीति ने लॉजिस्टिक्स, शूटिंग सुविधाओं और लोकल टैलेंट तक पहुंच को पहले की तुलना में कहीं अधिक सुलभ बनाया है. प्रियांशु जागर पर फ़िल्म बना रहे हैं और अधिकांश शूटिंग हर्षिल मुखबा के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में की गई है.
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अंतरराष्ट्रीय फिल्म निर्माता और Bombay Berlin Film Productions (BBFP) के CEO अरफ़ी लांबा ने वैश्विक परिप्रेक्ष्य से उत्तराखण्ड में फिल्म शूटिंग की संभावनाओं को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रोडक्शन कंपनियां भारत के रिबेट सिस्टम और विविध लोकेशन्स की वजह से यहां तेजी से आ रही हैं, और इस दिशा में उत्तराखण्ड एक अत्यंत आकर्षक विकल्प बनकर उभर रहा है.
अरफ़ी ने बताया कि पर्वतीय भू-भाग, नदी घाटियां, हिमालयी संस्कृति और लोककथाएं विदेशी क्रिएटर्स के लिए अत्यंत प्रेरणादायक हैं. उन्होंने बताया कि उनकी कई अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं में भारतीय लोकेशन्स विशेषकर उत्तराखण्ड के प्रति विशेष रुचि बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड की फिल्म नीति बहुत आकर्षक है. राज्य में कानून व्यवस्था काफी अच्छी है, इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर मिलने वाला सहयोग उत्तराखण्ड को अन्य राज्यों से अलग करता है. यही बाते बड़े विदेशी प्रोडक्शंस के लिए निर्णायक सिद्ध होती है. सत्र के दौरान सभी पैनलिस्ट इस बात पर एकमत थे कि उत्तराखण्ड की नई फिल्म नीति और परिषद के प्रयासों ने राज्य को फिल्म उद्योग में एक उभरती हुई ताकत बना दिया है.
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