सोहराब आलम/मोतिहारी/पूर्वी चंपारण। केसरिया–चकिया मार्ग के बीच बसे शांत से कथवलिया गांव की हवा इन दिनों अलग ही ऊर्जा से भरी है। मिट्टी की महक लोगों की जीवंत बातचीत और हर घर-आंगन में उठती उम्मीद सब मिलकर उस पल का इंतज़ार कर रहे हैं जो इस छोटे से गांव को विश्व के धार्मिक मानचित्र पर स्थापित करने वाला है। यहां बन रहा विश्व का सबसे बड़ा विराट रामायण मंदिर अब केवल एक निर्माण स्थल नहीं बल्कि ग्रामीणों की धड़कनों का हिस्सा बन गया है। मंदिर परिसर में खड़ा होता विशाल ढांचा लोगों की आंखों में चमक भर देता है। हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारा गांव इतने बड़े काम का हिस्सा बनेगा 70 वर्षीय शिवपूजन ठाकुर कहते हैं जिनकी सुबह अब मंदिर स्थल के दर्शन के बिना शुरू ही नहीं होती।
महाबलीपुरम से आ रहा शिवलिंग
तमिलनाडु के महाबलीपुरम में तैयार किया गया विशाल शिवलिंग अगले 15 दिनों में यहां पहुंचेगा। खास ट्रेलर पर लाया जा रहा यह शिवलिंग सड़क यात्रा का बड़ा सफर तय करेगा। बड़े आकार को देखते हुए प्रशासन ने चकिया-केसरिया मार्ग की नियमित मॉनिटरिंग शुरू कर दी है। मंदिर समिति के सदस्य भी हर बिंदु पर नजर रख रहे हैं। उनका कहना है यह सिर्फ निर्माण नहीं आस्था की पहचान का पुनर्जागरण है। शुक्रवार को यह शिवलिंग 96 चक्का वाले विशेष ट्रांसपोर्टर पर चढ़ाया गया जिसके साथ पूरे गांव की दुआएं और देशभर के भक्तों की उम्मीदें चल पड़ीं। इस यात्रा के बाद शिवलिंग पूर्वी चंपारण पहुंचेगा, जहाँ जनवरी-फरवरी में इसे स्थापित करने की तैयारी है। भारत के किसी भी मंदिर में स्थापित होने वाला यह सबसे बड़ा शिवलिंग होगा और इसके साथ इतिहास एक नए अध्याय की ओर बढ़ चुका है।
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