कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। हाईकोर्ट ने नगर निगम ग्वालियर पर 50 हजार की कॉस्ट लगाई है। नगर निगम में 41 साल की नौकरी से रिटायर हुए अधिकारी के रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले लाभ से जुड़ी याचिका मामले में यह कॉस्ट लगाई। हाईकोर्ट ने इसके साथ यह स्पष्ट किया कि अधिकारी को उसके हक का लाभ नगर निगम ने नहीं दिया। ऐसे में अब याचिकाकर्ता रिटायर्ड अधिकारी को सहायक संपत्ति कर अधिकारी मानते हुए सभी लाभ जिनमे संशोधित पीपीओ, जीपीओ और अन्य लाभ दो महीने के भीतर 6% ब्याज के साथ दे।

अनुकंपा नियुक्ति के बाद दिया प्रमोशन, फिर कर दिया डिमोशन

याचिकाकर्ता चंद्र मोहन शर्मा के एडवोकेट अरुण कटारे ने बताया कि 26 अक्टूबर 1989 को चंद्र मोहन शर्मा को निगम में अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। 1985 में उन्हें एलडीसी के पद पर पदोन्नत किया गया। इसके बाद उन्हें अकाउंटेंट होते हुए सहायक संपत्ति कर अधिकारी के पद पर प्रमोशन दिया गया। लेकिन 26 अगस्त 2016 को उन्हें फिर से डिमोशन देते हुए अकाउंटेंट बना दिया गया।

हाईकोर्ट में आदेश को दी चुनौती

इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिसमें दलील दी गई कि प्रमोशन हाईकोर्ट के निर्देश पर दिया गया था। ऐसे में 9 सितंबर 2016 को हाईकोर्ट ने तत्कालीन कमिश्नर अनय द्विवेदी के आदेश पर स्टे कर दिया था। 30 जून 2020 को चंद्र मोहन शर्मा सहायक संपत्ति कर अधिकारी पद से रिटायर हुए।

कोर्ट ने ग्वालियर नगर निगम पर लगाई 50 हजार की कॉस्ट

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह माना कि ग्वालियर नगर निगम ने याचिकाकर्ता चंद्र मोहन शर्मा को गलत तरीके से डिमोशन दिया। यहां तक की अकाउंटेंट को मिलने वाली पेंशन की भी 90% राशि दी, जो सही नहीं है। इस आधार पर 50 हजार की ग्वालियर नगर निगम पर कॉस्ट लगाई। इसके साथ ही सहायक संपत्ति कर अधिकारी मानते हुए 2 महीने के भीतर 6% ब्याज के साथ पीपीओ, जीपीओ सहित अन्य लाभ याचिकाकर्ता को देने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिए हैं।

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