राजकुमार पाण्डेय की कलम से
पीठ पीछे नहीं सीधे मुंह पर बुराई
अमूमन बुराई पीठ पीछे ही की जाती है और राजनैतिक क्षेत्र में तो मुंह पर बुराई करने का सवाल ही पैदा नहीं होता. मध्य प्रदेश के एक प्रमुख राजनैतिक कार्यालय में कुछ दिनों से मुंह की मर्यादा का पालन होना बंद हो गया है. व्यंग्य के जरिए ही सही, लेकिन सीधे मुंह पर तंज कसे जा रहे हैं और वो भी विषय के साथ. अब सीधे एक-दूसरे की मुंह पर बुराई करने की परिपाटी की जानकारी उपर तक पहंुच गई है. देखना होगा अब इसकी डेंसिटी कम होती है या आगे और अधिक बढ़ती है.
अफसर ने बिगाड़ दिए बने बनाए समीकरण
मध्य प्रदेश के प्रमुख नगर निगम में लंबे समय से नेताओं की एकतरफा चल रही थी. और चल भी ऐसी रही थी कि फाइल या कार्रवाई, कोई कुछ कहने वाला ही नहीं था. हाल में एक अफसर की आमद हुई और कार्यप्रणाली की माॅनिटरिंग करना शुरू किया तो अदने अफसरों ने प्रशासनिक मुखिया का हवाला देकर नेताओं की हां में हां मिलाना कम कर दिया है. सुना है अदने अफसर अब फाइलों तक दस्ख्हत करने के साथ कार्रवाई करने या न करने के लिए आने वाले फोनों से भी किनारा करने लगे हैं. निगम मे प्रशासनिक मुखिया की इस सख्ती के खूब चर्चो हो रहे हैं.
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विधायकजी ने मंत्री को करवा दिया इंतजार
व्यक्तिगत काम हो या क्षेत्र की जनता का, काम के लिए हमेशा विधायक की मंत्री के पास जाते हैं. एक विधायक भी एक काम को लेकर मंत्रीजी के बंगले के कई चक्कर काट चुके थे. सुनवाई नहीं हुई तो मंत्रीजी ने उपर का सोर्स लगा दिया. फिर क्या था दो-चार दिन के भीतर मंत्री जी काम पूरा कर कागज लेकर खुद विधायकजी के निवास पहंुच गए. विधायकजी तो पहले ही मजे लेने का मन बनाकर बैठे थे. पूजा में बैठे होने का बहाना बनाकर विधायकजी ने मंत्रीजी को पूरे 35 मिनट इंतजार करवाया और मुलाकात हुई तो कह बैठे, अरे मंत्रीजी आपने आने का कष्ट क्यों किया.
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