मधुबनी। कभी कांग्रेस के भरोसेमंद चेहरों में शामिल रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. शकील अहमद ने जब पार्टी छोड़ने की वजह बताई तो उनकी आवाज में कसक साफ दिखी। मधुबनी के एक निजी होटल में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक निर्णय नहीं बल्कि अपमान की पीड़ा का नतीजा है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट वितरण में वरिष्ठ नेताओं से कोई राय-मशविरा नहीं किया गया।
टिकट बाँटकर चले गए… लेकिन हमसे पूछा तक नहीं
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट वितरण को लेकर उन्होंने नाराजगी छुपाई नहीं। उनका कहना था कि वरिष्ठ नेताओं को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया।
वे बोले राष्ट्रीय नेतृत्व बिहार आया टिकट बाँटा और चला गया… हमसे एक बार भी बात नहीं की। इसका सीधा नुकसान हमें सीटों में दिखा।
भावना झा को लेकर अफवाहों पर विराम
कई दिनों से यह कयास लगाया जा रहा था कि वे बेनीपट्टी से भावना झा के लिए टिकट की पैरवी कर रहे थे। इस पर उन्होंने साफ कहा ये बिल्कुल गलत है। मैंने छह महीने पहले ही भावना झा को चुनाव न लड़ने की सलाह दी थी। हरलाखी सीट पर भी उन्होंने टिकट चयन को गलत बताया। बोले अगर सब्बीर अहमद को टिकट मिलता सीट हमारी होती।
कांग्रेस छोड़ी, विचार नहीं
भावुक लहजे में उन्होंने दोहराया कि वे किसी दूसरी पार्टी में नहीं जा रहे। कांग्रेस छोड़ी है लेकिन कांग्रेस को वोट और समर्थन जीवनभर दूंगा। उनकी बातें साफ कर गईं कि राजनीति में रणनीति जितनी जरूरी है उतना ही अहम सम्मान और संवाद भी है।
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