JNU Library Violence Video: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की सेंट्रल लाइब्रेरी से फेस रिकग्निशन सिस्टम को हटा दिया गया है। वामपंथी छात्र संगठनों ने शनिवार रात फेस रिकग्निशन सिस्टम को उखाड़कर फेंक दिया था। इसके बाद रविवार को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बैठक बुलाई थी। बैठक में उसे हटाने का निर्णय लिया गया।
दरअसल इस ‘फेस रिकग्निशन सिस्टम’ के विरोध में लंबे समय से छात्र संघ आवाज उठा रहा था। जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) ने इसे ‘छात्रों के अधिकारों का हनन बताते हुए’ प्रदर्शन किया था। वहीं, यह भी दावा किया गया था कि फेस रिकग्निशन सिस्टम की वजह से यूनिवर्सिटी कैंपस की लोकतांत्रिक परंपरा को नुकसान पहुंच रहा है।
छात्रों का कहना था कि यूनिवर्सिटी में किसी भी तरह की निगरानी होने की व्यवस्था गलत है। इसे हटाया जाना चाहिए। लंबी लड़ाई के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों के मांग के आगे घुटने टेक दिए हैं। अब इस व्यवस्था के हटाए जाने पर छात्रों ने खुशी जाहिर की है और इसे छात्र समुदाय के संघर्ष की जीत करार दिया है।
छात्रों की जानकारी के बिना लागू हुआ सिस्टम
छात्र संघ ने दावा किया था कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पहले उन्हें यह आश्वासन दिया था कि किसी भी बड़े फैसले से पहले छात्रों से चर्चा की जाएगी और समिति का गठन कर राय मश्वरा के बाद ही नया सिस्टम लागू किया जाएगा। हालांकि, ऐसा कुछ हुआ नहीं. स्टूडेंट्स का दावा था कि लाइब्रेरियन मनोरमा त्रिपाठी लगातार नया सिस्टम लागू करने और उसे आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही थीं। छात्रों से कोई बात नहीं की गई थी। छात्रों का कहना है कि नियम लागू करने से पहले न तो कोई समिति बनाई गई और न हीं छात्रों को इसकी जानकारी दी गई. केवल बात छुपाते हुए व्यवस्था को आगे बढ़ाते गए। स्टूडेंट्स की ओर से इस बात को लेकर भी नाराजगी थी कि जेएनयू की लाइब्रेरी को ‘चेकपोस्ट’ में तब्दील कर दिया गया है।
सेंट्रल लाइब्रेरी में हुई हिंसा के बाद पूरा कैंपस गर्मा गया था
बता दें कि जेएनयू में शनिवार (22 नवंबर) को सेंट्रल लाइब्रेरी में हुई हिंसा के बाद पूरा कैंपस गर्मा गया था। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की सेंट्रल लाइब्रेरी में लगाए गए नए ऑटोमैटिक फेस-रिकग्निशन एंट्री सिस्टम को शनिवार देर शाम वामपंथी छात्र संगठनों और जेएनयू छात्रसंघ (JNUSU) के पदाधिकारियों ने तोड़ दिया था। नई प्रवेश व्यवस्था पर विरोध जताते हुए JNUSU की उपाध्यक्ष गोपिका बाबू और कुछ छात्रों ने इस व्यवस्था का विरोध करते हुए गेट और मशीन को नुकसान पहुंचाया था। इससे कैंपस का माहौल तनावपूर्ण हो गया है। अभाविप ने वामपंथी संगठनों पर तोड़फोड़ और अराजकता फैलाने का आरोप लगाया था।
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