पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। जिले में पीएम आवास निर्माण में प्रगति दिखाने के लिए अफसरों को ऐसी सनक थी कि वे छत ढलाई नहीं हुए आवासों को भी पूर्ण आवास की सूची में डालकर सामूहिक गृह प्रवेश करा दिए। प्रोग्रेस दिखाने के लिए किए जा रहे बोगस एंट्री के खुलासे के बाद आवास मित्र, जनपद से लेकर जिला पंचायत सीईओ तक बदले गए, पर योजना में गड़बड़ी रुकी नहीं।

इस बार जिले के मैनपुर विकास खंड में पीएम आवास को पूर्ण दिखाने में जमकर गड़बड़ी की गई। पूर्ण आवास की पुष्टि के लिए आवास पोर्टल में ऑनलाइन एंट्री जैसी चुस्त तकनीकी व्यवस्था थी, बावजूद इसके जिम्मेदारों ने शासन की आंखों में धूल झोंककर न केवल अधूरे आवास को पूर्ण बताया बल्कि 1 नवंबर को पीएम नरेन्द्र मोदी के हाथों सामूहिक गृह प्रवेश भी करा दिया। मामले का भंडा तब फूटा जब स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने गृह प्रवेश की सूची निकाल उसका मिलान किया।

मैनपुर जनपद सभापति परमेश्वर जैन ने बताया कि वे अपने निर्वाचित क्षेत्र की सरईपानी पंचायत के हितग्राही गोवर्धन नागेश, कन्हल राम, गजेंद्र का आवास देखा, उसी जोर में दुर्गा टांडिया का आवास देखा, वहीं गुढियारी में सुखचंद का आवास अपूर्ण है। जैन ने बताया कि सामूहिक गृह प्रवेश की सूची में शामिल 40 से ज्यादा आवास आधे-अधूरे थे और मनरेगा से मिलने वाली मजदूरी राशि भी दूसरे के नाम आहरण हो गई। हितग्राहियों का काम रुका हुआ है। जैन ने दावा किया है कि मैनपुर जनपद के सामूहिक आवास प्रवेश की सूची में शामिल 3,700 नामों में से 1,000 से ज्यादा आवास में छत की ढलाई तक नहीं हुई है। आरोप है कि आंकड़े बढ़ाने और वाहवाही लूटने के लिए शीर्ष के अफसरों ने भी इस गड़बड़ी को अनदेखा किया और पीएम के हाथों प्रवेश कराया। इस खुलासे के बाद हमने मैनपुर जनपद के अन्य पंचायतों में भी पड़ताल की, जिसमें कई गड़बड़ियां उजागर हुईं।

केस 1 : कहीं नींव नहीं तो कहीं छत की ढलाई नहीं

गृह प्रवेश करने वाले आवास हितग्राहियों की सूची लेकर हम सबसे पहले धनोरा पहुंचे। नए गृह प्रवेश बताए गए हितग्राही प्रधान सिंह के आवास का पूरा कॉलम तक खड़ा नहीं था, दुर्जन के आवास की छत की ढलाई तक नहीं हुई है। इस पंचायत में ऐसे 11 आवास मिले जो अपूर्ण थे। आगे बढ़कर मुढगेल माल पहुंचे। यहां डोलेगा पारा से नए गृह प्रवेश करने वाले भवरसिंह अपने पुराने घर पर सोते मिले। नए आवास के बारे में पूछने पर पुराने आवास से लगे एक बरामदे को दिखाया, जिसकी ढलाई तक नहीं हुई थी।

बातचीत में पता चला कि आवास मित्र ने इनसे आधी-आधी रकम लेने की सहमति पर पूर्ण आवास का रिकॉर्ड दुरुस्त कर लिया। यहां ऐसे 6 हितग्राहियों के आवास अधूरे थे जिन्हें गृह प्रवेश बताया गया। रिहायशी इलाके की पंचायतों में ये हाल है। मैनपूर जनपद में अभ्यारण्य इलाके में बसने वाले 14 पंचायतों में गृह प्रवेश करने वाले हितग्राहियों की जांच की जाए तो कई चौंकाने वाले तथ्य मिलेंगे। आवास पोर्टल में जब तक आवास निर्माण के विभिन्न स्तर के फोटो हितग्राही के साथ नहीं डाला जाता, तब तक सॉफ़्टवेयर इसे पूर्ण नहीं मानता, पर सिस्टम में बैठे जिम्मेदार इसकी तोड़ निकाल कर फर्जी फोटो अपलोड कर बड़ा खेला कर गए।

केस 2 : बोगस एंट्री हुई, इधर मनरेगा मजदूरी की राशि डकार गए

बगैर काम किए कागजों में घर की प्रगति दिखाई जा रही थी। इस प्रगति के साथ चरणवार निर्माण के लिए 90 दिन की मजदूरी राशि लगभग 23 हजार प्रत्येक हितग्राही के लिए आबंटित थे। बगैर काम कराए हितग्राहियों के खाते में पैसे आ रहे थे, खुश हितग्राही मजदूरी की राशि की जरूरत नहीं समझ रहे थे। इसी मौके का फायदा आवास मित्र और रोजगार सहायक जमकर उठा रहे थे। धनोरा पंचायत के ग्रामीण दयाशंकर यादव, तिलचद, प्रकाश जैसे दर्जन भर ग्रामीणों ने इस गड़बड़ी को पकड़ा और अगस्त माह में जनपद, जिला से लेकर प्रदेश तक कई बार शिकायत की। हितग्राहियों ने अपने बयान में पुष्टि की कि उनके यहां काम नहीं करने वाले मजदूरों के नाम मजदूरी राशि आहरण की गई, पर मामले में न तो जांच हुई और न ही कोई कार्रवाई हुई।

ग्रामीणों ने बताया कि दूसरे ब्लॉक में रहने वाले जोगेश्वर पिता बलि राम के आवास निर्माण का नींव तक रखे बिना 1.20 लाख रुपये फर्जी आहरण कर लिए गए। आरोप है कि मनरेगा जैसे तगड़े डेटा एंट्री में गड़बड़ी हुई और जनपद से लेकर जिला तक मजदूरी राशि का बंदरबांट हुआ। ऐसा खेल उन सभी पंचायतों में किया गया है, जहां बगैर निर्माण के आवास को पूर्ण बताया गया है।

अधिकारियों का बयान

सीईओ जनपद पंचायत मैनपुर श्वेता वर्मा ने कहा कि जिन आवासों की स्लैब ढलाई हुई, फ्लोरिंग प्लास्टर हो गया था, इनकी रिपोर्ट बनाते समय पूर्ण माना गया था। अगर स्लैब ढलाई नहीं हुई उसे भी पूर्ण बताया गया है तो जांच कराई जाएगी। समय-समय पर मिली शिकायत की जांच कराई गई है। धनोरा में मनरेगा मजदूरी गड़बड़ी के मामले की भी जांच हुई थी।

सीईओ जिला पंचायत गरियाबंद प्रखर चंद्राकर ने कहा कि अधूरे आवास को अगर पूर्ण कही बताया गया है तो जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। आप मुझे जानकारी भेजिए कहां-कहां ऐसा हुआ है, मैं जांच कर कार्रवाई कराता हूं। धनोरा में मनरेगा मजदूरी के मामले में राशि वसूली के निर्देश दिए गए हैं।