रायपुर। राजधानी समेत राज्यभर में जमीन पर लागू नई गाइडलाइन को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. बिल्डरों के सबसे बड़े एसोसिएशन छत्तीसगढ़ क्रेडाई का दावा है कि नई गाइडलाइन जारी होने के बाद रायपुर में कई जगहों पर जमीन की सरकारी कीमत मार्केट रेट से कई गुना ज्यादा हो गई है. इसी बीच गाइडलाइन दरो को लेकर विरोध शुरू हो गया है और बड़ी संख्या में इससे प्रभावित होने वाले ब्रोकर प्रदर्शन करने पहुंचे है.


ब्रोकरों का कहना है कि लोग जितनी कीमत में जमीन नहीं खरीदेंगे उससे कहीं ज्यादा कीमत के आधार पर रजिस्ट्री शुल्क देंगे. इसका असर रियल एस्टेट के कारोबार पर भी पड़ेगा. क्रेडाई का कहना है कि नई गाइडलाइन में कई बदलाव स्वागत योग्य है. पहले 1500 से ज्यादा जगहों को आधार मानकर गाइडलाइन तय की जाती थी. लेकिन अब इनकी संख्या घटकर 700 के ही आसपास रह गई है.

क्रेडाई की प्रमुख मांगें
गैर पारिवारिक लोगों की ओर से जमीन खरीदे जाने की स्थिति में प्रत्येक खरीदार के अंश के आधार पर गणना की जाए. जमीन की बिक्री केवल रकबे के आधार पर होती है. खरीदारों की संख्या के आधार पर मूल्य तय करने से जमीन का गाइडलाइन मूल्य वास्तविक मूल्य से कई गुना बढ़ जा रहा है. इसे ठीक करना होगा. पंजीयन शुल्क को 4 प्रतिशत ही रखना होगा. अभी बहुमंजिला भवनों में ऊपर की मंजिलों पर कंस्ट्रक्शन कॉस्ट में दी जाने वाली छूट खत्म कर दी गई है. इस छूट को फिर दिया जाना चाहिए. कलेक्टर गाइडलाइन में 30% छूट को पहले ही खत्म कर दिया गया है.
नए रेट भी लागू हो गए हैं. इसलिए गाइडलाइन में छूट के पहले लगने वाले पंजीयन शुल्क की दर 0.8% को वर्तमान में लागू किया जाना चाहिए. यह दर भी वर्तमान की तरह संपत्ति के गाइडलाइन मूल्य तक ही लगनी चाहिए. गाइडलाइन से अधिक दरों पर पंजीयन कराने वालों के लिए यह काम नहीं करेगा. छत्तीसगढ़ में व्यावसायिक और आवासीय इमारतों में ऊपर के फ्लोर का बिक्री मूल्य कम होता है. इसलिए पहले की तरह ही सेकेंड फ्लोर एवं उसके ऊपर की मंजिलों पर मिलनी वाली छूट को यथावत रखा जाए. जिन जगहों पर सरकारी कीमत बाजार रेट से ज्यादा हो गई है वहां फिर से जांच करवाकर नए रेट लागू करने चाहिए.
मुख्य मांगें
1. गाइडलाइन दर बढ़ोतरी वापस ली जाए
11 नवंबर 2025 को जारी अधिसूचना में की गई वृद्धि को अवैध और जनविरोधी बताया गया है.
2. सभी तरह की जमीन पर एक समान दर लागू की जाए
आवेदक का कहना है कि-
“हर प्रकार की भूमि पर समान प्रति वर्गमीटर मूल्य तय हो.”
3. वार्षिक वृद्धि (0.30% और 0.60%) का विरोध
गाइडलाइन रेट में हर वर्ष 0.30% और 0.60% जो बढ़ोतरी तय है, उसे अनुचित बताया गया है.
4. ग्रामीण और शहरी जनता पर बढ़ते बोझ का जिक्र
नई दरों से दोनों क्षेत्रों के लोगों पर भारी आर्थिक दबाव पड़ेगा, जबकि सुविधाएँ पहले से सीमित हैं.
5. स्टांप शुल्क और पंजीयन शुल्क में की गई वृद्धि रद्द की जाए
19 नवंबर 2025 से लागू नई दरें वास्तविक बाज़ार स्थिति से मेल नहीं खातीं — इन्हें तुरंत वापस लेने की मांग की गई है.

