बीजापुर। शिक्षा बच्चों का भविष्य सुरक्षित करने का माध्यम है, लेकिन आवापल्ली क्षेत्र के एक निजी स्कूल में स्थितियां बिल्कुल उलट हैं. यहां स्कूल प्रबंधन ने नियमों को ताक पर रखकर बिना फिटनेस और बिना बीमा वाले वाहनों से बच्चों को लाने–ले जाने की व्यवस्था कर रखा है. रोजाना दर्जनों बच्चे इन बसों में सफर करते हैं, जो किसी भी समय बड़े हादसे का कारण बन सकती हैं.

फिटनेस और बीमा के बिना चल रहे वाहन

मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार स्कूल वाहनों के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट और वाहन बीमा अनिवार्य है. फिटनेस यह सुनिश्चित करता है कि वाहन तकनीकी रूप से सुरक्षित है, जबकि किसी भी वाहन का बीमा होना कानूनी रूप से आवश्यक होता है.

लेकिन आवापल्ली के इस स्कूल में कई वाहनों के फिटनेस महीनों पहले खत्म हो चुकी है. बीमा भी नवीनीकृत नहीं कराया गया. इसके बावजूद वाहनें खुलकर सड़कों पर दौड़ रही हैं.

स्कूल प्रबंधन का गैर-जिम्मेदार रवैया

मामले की जानकारी देने पर स्कूल प्रबंधन ने लापरवाही भरा जवाब दिया. कहा- “हमें जानकारी नहीं है… हम देखेंगे”
ऐसा लगता है जैसे बच्चों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता में है ही नहीं. जबकि यह उनकी सीधी जिम्मेदारी है कि वे अपने परिवहन संसाधनों को पूरी तरह नियमों के अनुरूप रखें.

बच्चों की जान जोखिम में

स्थानीय लोगों के मुताबिक कई वाहनों को धुआं छोड़ते, सड़क पर रुकते और झटके खाते देखा गया है. बिना फिटनेस की बसों में अक्सर होती हैं—

  • ब्रेक सिस्टम की खराबी
  • स्टीयरिंग में दिक्कत
  • इंजन की अनिश्चित स्थिति
  • फायर एक्सटिंग्विशर और फर्स्ट एड किट का अभाव

इन बसों में रोज छोटे बच्चे सफर कर रहे हैं, जो किसी बड़ी दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं.

प्रशासन और परिवहन विभाग की चुप्पी पर सवाल

आवापल्ली क्षेत्र में परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है। जब वाहनें बिना फिटनेस और बीमा के खुलेआम सड़कों पर दौड़ रही हैं, तो इस पर निगरानी कौन रख रहा है? 

क्या विभाग को इन बसों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए? क्या स्कूल परिवहन की नियमित जांच पर संबंधित अधिकारी ध्यान दे रहे हैं?

स्कूल वाहनों के लिए कानून सबसे सख्त हैं, क्योंकि वे बच्चों को ढोती हैं. ऐसे में प्रशासन की चुप्पी अभिभावकों की चिंता बढ़ा रही है.

अभिभावकों में उबाल

अभिभावकों का कहना है कि स्कूल मोटी फीस वसूल करता है, लेकिन सुरक्षा का न्यूनतम इंतजाम भी नहीं करता. उन्होंने ये मांगें रखी हैं—

  • सभी वाहनों की तत्काल फिटनेस जांच
  • जिन वाहनों का बीमा खत्म है, उनके संचालन पर रोक
  • स्कूल प्रबंधन पर कानूनी कार्रवाई
  • सुरक्षित व मानक बसों का संचालन सुनिश्चित किया जाए

क्या किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार है?

देश में स्कूल वाहनों की लापरवाही कई हादसों की वजह बन चुकी है. आवापल्ली की यह स्थिति बिल्कुल वैसी ही संभावित त्रासदी की ओर संकेत करती है. यह मामला सिर्फ औपचारिक जांच का नहीं, बल्कि बच्चों की जान से जुड़ा गंभीर मुद्दा है. प्रशासन ने यदि समय पर हस्तक्षेप नहीं किया, तो देर होने पर किसी कार्रवाई का कोई फायदा नहीं होगा.

इस पूरे मामले में बीजापुर DEO लखन लाल धनेलिया ने लल्लूराम से कहा- “मुझे इस बात की जानकारी नही है. मैं पहले पता करवा लेता हूं. जांच के पश्चात इस प्रकार अगर लापरवाही बरती जाएगी तो, नोटिस जारी किया जायेगा.”

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