रायपुर। श्री नारायणा हॉस्पिटल, में आज शोल्डर आर्थोस्कोपी पर “मीट द मास्टर्स वर्कशॉप” आयोजित की गई. वर्कशॉप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त ब्राज़ील के डॉक्टर सरजिओ रोविंस्की और राष्ट्रीय स्तर पर जाने माने डॉ. विनय तंतुवे, डॉ. प्रसाद भागुण्डे, डॉ. मुकेश लड्ढा और डॉ. हेमंत कुमार द्वारा दो लाइव ऑपरेशन के माध्यम से कंधे की आर्थोस्कोपी की बारीकियां बताई गईं.
साथ ही यहां रोटेटर कफ टेअर, बार बार कंधा खसकने की बीमारी का दूरबीन से ऑपरेशन किये जाने की पद्धति आदि के बारे में बताया गया. वर्कशॉप में प्रशिक्षकों ने आर्थोस्कोपी के महत्व के बारे में बताया कि इसमें बहुत ही छोटा चीरा दिया जाता है. जिससे मरीज को दर्द भी कम महसूस होता है. कंधे की आर्थोस्कोपी की बारीकियां बताई गईं. और अस्पताल में उसे बहुत ही कम दिन भर्ती रहना पड़ता है. इस प्रक्रिया में केवल तीन टाँके लगाए जाते हैं जिस वजह से मरीज का घाव जल्दी भर जाता है. छोटा चीरा लगने के कारण कंधे की अर्थरोस्कोपी को “की होल सर्जरी” भी कहते हैं.
वर्कशॉप में बड़ी संख्या में पूरे प्रदेश के आर्थोस्कोपिक सर्जन ने भाग लिया है. बाहर से आए प्रशिक्षकों के अलावा वर्कशॉप में श्री नारायणा हॉस्पिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर और वरिष्ठ ओर्थपेडीक सर्जन डॉ. सुनील खेमका और अर्थरोस्कोपी एक्सपर्ट डॉ. प्रीतम अग्रवाल ने भी अर्थरोस्कोपी पर अपने विचार रखे और उपस्थित डॉक्टरों के समक्ष अपने अनुभव साझा किये.