चमोली. चारधाम में से एक श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुक्रवार से शुरू हो चुकी है. शुक्रवार को सबसे पहले भगवान श्री गणेश जी के मंदिर के कपाट बंद किए गए. जिसके बाद शनिवार को भगवान श्री आदि केदारेश्वर और जगद्गुरु आदि शंकराचार्य जी के मंदिर के कपाट बंद किए गए. रविवार से मंदिर में वेद ऋचाओं का वाचन भी बंद हो गया है. अब मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी, मंगलवार यानी 25 नवंबर को भगवान बद्रीविशाल के मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे.

मंगलवार को दोपहर 02.56 बजे श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे. इससे पहले शनिवार को मंदिर बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई. जिसमें भगवान बद्री विशाल की भोग आरती के बाद तप्त कुंड के पास विराजित श्री आदि केदारेश्वर मंदिर में मुख्य पुजारी बंदे रावल अमरनाथ नंबूदरी ने भगवान को पके चावलों का भोग अन्नकूट अर्पित किया. इस वैदिक पूजन प्रक्रिया में भगवान केदारेश्वर के शिवलिंग को पके चावलों (भात) से पूरा ढका गया. जिसके बाद भगवान आदि केदारेश्वर के शिवलिंग को निर्वाण रूप में लाकर पुष्प और भस्म से ढकन के बाद ठीक दोपगर दो बजे पट बंद कर दिए गए.

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इसके बाद शिवावतार जगद्गुरु भगवान आदि शंकराचार्य के मंदिर के कपाट बंद करने की प्रक्रिया शुरू हुई. जहां दोपहर ठीक सवा दो बजे को विधि विधान और मंत्रोच्चारण के बीच जगद्गुरु आदि शंकराचार्य के मंदिर के भी कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए. पंचपूजा के तीसरे दिन यानी रविवार को विधि विधान से वेद पुस्तकों की पूजा-अर्चना के बाद पवित्र खड़ग-पुस्तक पूजा के साथ ही मंदिर में वेद ऋचाओं का वाचन भी बंद हो गया है.