राजनांदगांव। एग्रीटेक पोर्टल में पंजीयन कराने किसानों के पास सिर्फ मंगलवार का ही समय है. ऐसे में तहसील मुख्यालय में पंजीयन कराने रेलमपेल की स्थिति निर्मित होने लगी है. सोमवार को तहसील मुख्यालय में सुबह से ही किसान पहुंचे थे, जहां उन्हें दोपहर तक अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा.
जानकारी अनुसार, जिले में ऐसे सात हजार किसान है, जिनका पोर्टल में पंजीयन नही होने से वे धान बेचने से वंचित हो गए है. ऐसे किसानों को तहसील मुख्यालय में पंजीयन कराने कहा गया है. किसानों ने बताया कि, पिछले साल धान बेचने उनके द्वारा पंजीयन कराया गया था और उन्होने धान भी बेचा था. लेकिन रकबा कम होने और बिक्री होने के चलते संसोधन कराना पड़ा. जिसके चलते ऐसे किसानों का पंजीयन तहसीलों में किया जा रहा है. सोसायटी से किसानों को वापस लौटाया जा रहा है. जिसके चलते किसानों गांव से लेकर तहसील मुख्यालय तक चक्कर कांटने मजबूर होना पड़ रहा है.

धान खरीदी में आई तेजी : छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी संघ के आंदोलनरत कर्मचारियों के काम पर लौट आने से जिले में धान की खरीदी में काफी तेजी आ गई है. जिले में अब तक 4 लाख क्विंटल से अधिक किसानों से धान की खरीदी पूर्ण कर ली गई है. राजनांदगांव जिले भर के 96 उपार्जन केंद्रों में जहां पर समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी सुनिश्चित कराई जा रही है. सोसाइटियों में किसानों की भारी भीड़ अब नजर आने लगी है . टोकन मिलने के बाद किसान अब अधिक से अधिक पहुंचकर धान बेच रहे हैं.
धान के रकबे में कटौती : राजनांदगांव. रबी सीजन में किसानों को धान के बजाय अन्य फसल जैसे मक्का, दलहन व तिहलन फसल लेने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है. पिछले साल गर्मी सीजन में जिले के किसानों ने 9 हजार हेक्टेयर में धान की फसल ली थी. लेकिन इस बार 6 हजार हेक्टेयर में ही फसल लगाने किसानों को जागरूक किया जा रहा है. राज्य शासन द्वारा ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर फसल विविधीकरण की प्रस्तावित कार्ययोजना तैयार की गई हैं.
आटरा गांव में तेंदुए ने बंदर पर किया हमला
छुरिया। छुरिया के ग्राम आरा में बीती रात तेंदुए ने बंदर पर हमला बोल दिया. जिससे उसकी मौत हो गई. तेंदुए की दस्तक से गांव में दहशत की स्थिति निर्मित हैं. ग्रामीणों द्वारा सुबह जब वन विभाग के अफसरों को सूचना दी, जिसके बाद जांच पड़ताल शुरू हो गई हैं.
जानकारी के अनुसार, रविवार की रात आटरा गांव के बीच बंदर पर तेंदुआ ने हमला बोल दिया. इस घटना की जानकारी ग्रामीणों को मिलने के बाद हड़कंप मची रही. ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग के अफसरों ने एक दिन बीतने के बाद भी तेंदुए को नही पकड़ा है. इधर सोमवार को सुबह वन विभाग की टीम गांव पहुंची और सीसीटीवी फूटेज के जरिए तेंदुए की जानकारी जुटाती रही. बताया गया कि इस दौरान तेंदुएं का पद चिन्ह भी मिला है, इस पद चिन्ह के जरिए तेंदुए की पतासाजी में वनविभाग के अफसर जूटे हुए है.
कांग्रेस शहर और ग्रामीण जिला अध्यक्षों की घोषणा अब तक नहीं
राजनांदगांव। कांग्रेस में शहर एवं जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की घोषणा को लेकर कार्यकर्ताओं का इंतजार लंबा होता जा रहा है . नवम्बर महीना भी बीतने की स्थिति में है, लेकिन अब तक कांग्रेस के अध्यक्षों की घोषणा नहीं हो पाई है, जिसके कारण कांग्रेस का संगठनात्मक ठप पड़ा हुआ है.
ज्ञात हो कि कांग्रेस में शहर और ग्रामीण अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए पहली बार कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा अलग- अलग क्षेत्रों में पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए थे. कार्यकर्ताओं से लेकर आमजनों से भी रायशुमारी की गई. विधानसभा क्षेत्रों में जाकर पदाधिकारियों एवं विधायकों से भी चर्चा हुई.
दावेदारों की गुटबाजी बनी वजह : ऐसा माना जा रहा था कि एक सप्ताह के भीतर राजनांदगांव शहर एवं जिले को नया अध्यक्ष मिल जाएगा. ठीक इसके विपरीत अभी तक कांग्रेस को जिला अध्यक्ष नहीं मिला पाया है. समझा जा रहा है कि कांग्रेस में दावेदारों के बीच चल रही गुटबाजी अब बड़े नेताओं के बीच अपने-अपने समर्थकों को अध्यक्ष बनाने के लिए खींचातानी के चलते घोषणा नहीं हो पाई है.
एमएमसी जोन के नक्सलियों ने आत्मसमर्पण करने के लिए मांगा 3 माह का समय
राजनांदगांव। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के नक्सली संगठन ने आत्मसमर्पण सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए तीन माह का समय मांगा है. इसे लेकर उन्होंने तीन राज्यों के मुख्यमंत्री के नाम पत्र भी लिखा है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के नाम लिखे गए पत्र में एमएमसी जोन के प्रवक्ता अनंत ने कहा कि नक्सल ऑपरेशन तत्काल रोका जाए. इसके अतिरिक्त मुखबिरों की गतिविधियों को रोकने, इनपुट या सूचना के आधार पर सक्रिय नहीं होने की मांग भी की गई है. इसके अतिरिक्त संगठन ने आगामी पीएलजीए सप्ताह के दरमियान पुलिस से कोई भी अभियान नहीं चलाने का उल्लेख किया है.
नक्सलियों ने पत्र के माध्यम से इस साल पीएलजीए सप्ताह नहीं मानने का ऐलान भी किया है. नक्सली संगठन के प्रवक्ता अनंत ने आगामी वर्ष 15 फरवरी 2026 तक समय भी मांगा है. इसमें एमएमसी जोन के सक्रिय नक्सलियों से पत्र को एक संदेश के रूप में जन-जन तक पहुंचाने की अपील भी की गई है.
पत्र में लिखा गया है कि तीनों राज्यों की सरकारों से नक्सलियों ने कुछ जनप्रतिनिधि और कुछ पत्रकारों से मुलाकात करने के लिए मौका देने की भी मांग की है, ताकि नक्सल ऑपरेशन के नाम पर हत्या के अनवरत सिलसिले को बंद किया जा सके . इसके अलावा एमएमसी जोन के प्रवक्ता ने केंद्रीय कमेटी के सदस्य व पोलित ब्यूरो के मेंबर सोनू दादा और सीसीएम कामरेड चंद्रन्ना से भी इस मामले में दखल देने की मांग की है.
आईजी ने जानकारी से किया इंकार : नक्सलियों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए मुख्यमंत्रियों के नाम लिखे गए पत्र को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में राजनांदगांव रेंज के आईजी अभिषेक शांडिल्य ने कहा कि इस संबंध में फिलहाल कोई जानकारी नहीं है.
एसआईआर फार्म भरने में नवविवाहित महिलाओं को आ रही सबसे अधिक परेशानी
डोंगरगांव। विकासखंड क्षेत्र में मतदाता सूची के अद्यतन और मिलान के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है. जिसमें बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं को एसआईआर फॉर्म भरवा रहे हैं. यह कार्य युद्ध स्तर पर जारी है, जिसमें बीएलओ को सबसे बड़ी समस्या उन विवाहित महिलाओं के फॉर्म में आती है, जिनका नाम 2003 की वोटर लिस्ट में मायके के पते पर दर्ज था.
विवाह के बाद वे ससुराल आ गई हैं, लेकिन फॉर्म मिलान के लिए पुराने रिकॉर्ड की आवश्यकता पड़ती है. इस कारण मतदाताओं को 2003 की लिस्ट में उनके मायके का बूथ नंबर, विधानसभा और सरल क्रमांक खोजनी पड़ती है, जिससे सत्यापन में थोड़ा समय लग जाता है. कई बार यह देखने में आ रहा है कि पूर्व में मोबाईल नंबर जुड़े नहीं होने के कारण अथवा मायके में कोई भी रिश्तेदार नहीं होने के कारण महिलाओं को 2003 का निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक, बूथ क्रमांक अथवा सरल क्रमांक ढूंढने में बहुत परेशानियाँ हो रही है.
1950 नंबर डायल कर अपनी परेशानी बताई जाती है तो वे भी पर्याप्त सहायता करने में सक्षम नहीं हैं. उनके द्वारा भी आपको अपना नाम स्वयं ढूंढने के लिए कहा जाता है. इसी प्रकार अधिकतर मतदाता परिचय पत्रों में मोबाईल नंबर नहीं अथवा मोबाईल नंबर बदल जाने के कारण ऑनलाईन फार्म भरने में भी परेशानी हो रही है. जिन लोगों ने फार्म ऑनलाईन भर लिए हैं उन्हें भी पुनः ऑफलाईन फॉर्म जमा करने कहा जा रहा है. इसके साथ ही बार-बार नियमों बदलाव से भी लोगों को परेशानियाँ हो रही है, जिसमें पूर्व में यह कहा जाता रहा कि मतदाताओं को सफेद बैकग्राउण्ड की वर्तमान फोटो चस्पा करना है, बाद में इसकी अनिवार्यता पर प्रश्रचिन्ह लगा दिया गया.
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