Rajasthan News: जयपुर परिवहन विभाग में 7-डिजिट हेरिटेज नंबरों के आवंटन में हुए बड़े खेल में अब पुलिस कार्रवाई होगी। डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा की मंजूरी के बाद विभाग ने संबंधित आरटीओ को थानों में एफआईआर कराने के आदेश दिए हैं।

जांच रिपोर्ट में सरकार को सीधे राजस्व नुकसान नहीं बताया गया, लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच 500 करोड़ के लेन-देन की बात सामने आई है। ये लेन-देन कैसे हुआ, जांच अधिकारियों को इसका ठोस सबूत नहीं मिला। यह सामने आया कि कई वाहन बिना रिन्युअल और बिना ट्रांसफर फीस ही बैकलॉग में जोड़कर नंबर जारी किए गए। 13 आरटीओ रीजन में जांच के दौरान 8500 वाहनों को गलत तरीके से बैकलॉग किया गया, जिनमें से 2 हजार का रिकॉर्ड गायब मिला।

ये है मामलाः 13 RTO रीजन की सौंपी थी जांच

9 महीने पहले 7-डिजिट नंबर आवंटन को लेकर कई आरटीओ-डीटीओ कार्यालयों में गड़बड़ियों की शिकायतें आई थीं। मामला मार्च 2025 में गर्माया जब जयपुर आरटीओ प्रथम में बाबू सुरेश तनेजा और सहायक प्रोग्रामर रामजीलाल द्वारा गलत आवंटन का खुलासा हुआ। दोनों निलंबित हुए। झुंझुनूं और राजसमंद में भी अनियमितताएं पकड़ी गईं, जहां डीटीओ तक को निलंबित करना पड़ा। खेतड़ी और झुंझुनूं में निरीक्षकों पर भी गाज गिरी। खुलासा होने पर विभाग ने अपर परिवहन आयुक्त रेणु खंडेलवाल को 13 आरटीओ रीजन में जांच सौंपी।

एक केस में पहली बार दो एजेंसियां

घोटाले में पहले ही ईडी की एंट्री हो चुकी है। अब विभाग एफआईआर दर्ज करा रहा। पहली बार एक केस में दो एजेंसियां जांच करेंगी। ईडी ने 3 बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी थीः जयपुर आरटीओ प्रथम में तनेजा द्वारा किए गए 80 पंजीयन, पूरे प्रदेश की वित्तीय अनियमितताएं, परिवहन मुख्यालय द्वारा पहले भेजी गई वित्त विभाग की रिपोर्ट। सभी रिपोर्ट ईडी को भेज दी गई हैं, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।

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