सुरेश पांडेय, सिंगरौली। मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए नायब तहसीलदार महेंद्र कुमार कोल को 4,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। प्रारंभिक जांच में राजस्व निरीक्षक हरी प्रसाद वैश की भूमिका भी संदिग्ध मिली है, जिस पर विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

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करौली (सीधी) निवासी प्रवीण चतुर्वेदी ने वर्ष 2016 में चितरंगी क्षेत्र के बालाखण्ड गांव में जमीन खरीदी थी। कब्जे को लेकर हुए विवाद में उन्होंने 2017 में बेदखली के लिए आवेदन दिया। 2021 में आदेश जारी होने के बाद भी चार वर्षों तक कार्रवाई नहीं हुई। शिकायतकर्ता के बार-बार अनुरोध पर नायब तहसीलदार और राजस्व निरीक्षक ने मिलकर 15,000 रुपये की रिश्वत मांग ली।

लोकायुक्त ने शिकायत की जांच की तो 22 नवंबर को नायब तहसीलदार द्वारा 4,000 रुपये तथा 23 नवंबर को राजस्व निरीक्षक द्वारा 8,000 रुपये मांगने की पुष्टि हुई। दोनों अधिकारियों की रिश्वत मांगने की बात सही पाए जाने के बाद लोकायुक्त टीम ने जाल बिछाया और पूरी तैयारी के साथ निगरानी की।

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25 नवंबर को लोकायुक्त दल ने बैरीटोला खुर्द स्थित सरकारी आवास में छापा मारकर नायब तहसीलदार महेंद्र कोल को 4,000 रुपये लेते हुए मौके पर गिरफ्तार कर लिया। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है, जबकि राजस्व निरीक्षक के खिलाफ भी आगे की कार्रवाई जारी है।

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