वीरेंद्र कुमार/नालंदा। जिले के करायपरसुराय प्रखंड के डियावां छिलका मोड़ के पास प्रस्तावित पावर हाउस निर्माण को लेकर प्रशासन पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। मामला सिर्फ जमीन अधिग्रहण का नहीं है, बल्कि उन परिवारों के दर्द का है जो पीढ़ियों से अपनी रैती जमीन पर निर्भर रहे हैं। इन्हीं परिवारों का आरोप है कि उनकी जमीन बिना किसी सूचना और सहमति के सरकारी घोषित कर दी गई।
पासवान की लाचारी
पीड़ित रंजीत पासवान की आवाज़ में आक्रोश और लाचारी दोनों दिखती है। वह बताते हैं कि खाता संख्या 380, खसरा 2532 और 2530 की कुल 1 एकड़ 15 डिसमिल भूमि उनके पूर्वजों की है, जिसके दस्तावेज और रसीद आज भी मौजूद हैं। इसके बावजूद तत्कालीन अंचल अधिकारी मणिकांत कुमार द्वारा जमीन को सरकारी बताते हुए एनओसी जारी कर दी गई। रंजीत ने हिलसा लोक शिकायत कार्यालय से लेकर पटना हाईकोर्ट तक गुहार लगाई है, लेकिन उनका आरोप है कि इसके बावजूद अधिग्रहण की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ाई जा रही है। वह कहते हैं, हम न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं, पर हमारी बात कोई सुनने को तैयार नहीं।
ग्राम सभा के बिना फैसला
गांव के मुखिया संघ प्रतिनिधि मोहम्मद मुन्ना खालिद प्रशासन की कार्रवाई को मनमानी बताते हैं। उनका कहना है कि ग्राम सभा की अनुमति लिए बिना लिया गया निर्णय पूरी तरह नियमों के खिलाफ है। ग्रामीणों का आरोप है कि जमीन अधिग्रहण को लेकर उन पर प्रशासनिक दबाव बनाया जा रहा है। स्थानीय लोग कहते हैं कि यदि उनकी आवाज नहीं सुनी गई, तो संघर्ष और तेज होगा।
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