अविनाश श्रीवास्तव, रोहतास। देशभर में किसान संगठनों और ट्रेड यूनियनों के संयुक्त आह्वान पर आज व्यापक विरोध प्रदर्शन किया गया। इसका असर रोहतास में भी देखने को मिला। इस दौरान बड़ी संख्या में किसान और यूनियन कार्यकर्ता मौजूद रहे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कानूनों को तुरंत वापस लेने की मांग की।

प्रदर्शन में शामिल माले नेता अशोक बैठा ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि, मोदी सरकार द्वारा लाए जा रहे नए कानून किसानों को मजबूर और निर्भर बनाने की साजिश है। उन्होंने कहा कि, ये कानून किसानों को पूरी तरह कॉर्पोरेट के भरोसे छोड़ देने और उनकी आज़ादी छीन लेने की दिशा में उठाए गए कदम हैं, इसलिए पूरे देश में संगठित रूप से विरोध दर्ज कराया जा रहा है।

अशोक बैठा ने कहा कि, किसान देश की रीढ़ हैं, लेकिन सरकार ऐसे कानून थोप रही है, जिनसे खेती किसानी और किसानों की आर्थिक स्वतंत्रता दोनों पर खतरा बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि, संयुक्त मोर्चा किसान ट्रेड यूनियन के आह्वान पर आज देशभर में घेराव, धरना और प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं। उन्होंने साफ कहा कि यह लड़ाई किसी दल की नहीं, बल्कि देश के किसानों और श्रमिकों की है, जो अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सड़क पर उतरने को मजबूर हुए हैं।

माले नेता ने कहा कि, अगर सरकार किसानों की बात नहीं सुनेगी, तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कानून बनाते समय जनता, किसानों और यूनियनों की राय नहीं ली गई, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। बैठा ने कहा कि, सरकार किसानों को गुलाम बनाने की कोशिश कर रही है, लेकिन देश का किसान न कभी गुलाम रहा है और न रहेगा।

उन्होंने यह भी बताया कि यूनियन के विभिन्न संगठनों ने एकजुट होकर साफ संदेश दिया है कि किसान-विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष जारी रहेगा। जब तक सरकार इन कानूनों को वापस नहीं लेती और किसानों से सार्थक बातचीत नहीं करती, तब तक विरोध रुकने वाला नहीं है।

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