पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद आरजेडी अब केवल आंकड़ों में हार नहीं ढूंढ रही, बल्कि उन चेहरों की पहचान करने में जुट गई है जिन्होंने भीतर ही भीतर पार्टी का नुकसान किया। लालू यादव और तेजस्वी यादव की पार्टी के लिए यह चुनाव सिर्फ राजनीतिक पराजय नहीं बल्कि भरोसे के टूटने जैसा रहा। इसी मानवीय पीड़ा को देखते हुए पार्टी ने बुधवार से प्रदेश कार्यालय में प्रमंडलवार बैठकों का सिलसिला शुरू कर दिया है जहां हर प्रत्याशी अपनी कहानी लेकर पहुंच रहा है-किसने मदद की, किसने धोखा दिया, और किससे पार्टी उम्मीद खो बैठी।

प्रत्याशी सुना रहे अपना दर्द

मगध प्रमंडल की बैठक में हारे और जीते सभी उम्मीदवारों ने अपने-अपने क्षेत्र की लिखित रिपोर्ट सौंपी। कई उम्मीदवारों ने खुलकर बताया कि कुछ नेताओं ने चुनाव के दौरान विरोधियों की मदद की, दल बदलवाया, वोट कटवाए और अभियान को नुकसान पहुंचाया। वरिष्ठ नेता मंगनी लाल मंडल, अब्दुलबारी सिद्दिकी और भोला यादव ने इन तमाम रिपोर्टों को गंभीरता से सुना। प्रत्याशियों के चेहरे बता रहे थे कि उन्हें हार से ज्यादा चोट उन्हीं लोगों ने पहुंचाई जिन पर सबसे ज्यादा भरोसा था।

दो चरणों में चलेगा सफाई अभियान

4 दिसंबर तक सभी प्रमंडलों की बैठकें पूरी होंगी। इसके बाद 5 से 9 दिसंबर तक जिलाध्यक्षों और पदाधिकारियों के साथ मीटिंग ली जाएगी। जिन नेताओं पर भितरघात के आरोप मजबूत पाए जाएंगे उनसे जवाब मांगा जाएगा। जवाब संतोषजनक न होने पर ऐसे लोगों को पार्टी से बाहर करने की तैयारी है।

अगले दो दिन का शेड्यूल

गुरुवार को सारण और शुक्रवार को पूर्णिया प्रमंडल के प्रत्याशी अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे। पार्टी का मकसद केवल गलती ढूंढना नहीं बल्कि आगे की नई रणनीति तय करना भी है।