भारतीय शेयर बाजार ने ऐसा उछाल दिखाया कि ट्रेडिंग फ्लोर पर माहौल उत्सव जैसा हो गया. सेंसेक्स और निफ्टी – दोनों ने अपने अब तक के सारे रिकॉर्ड पीछे छोड़ दिए. वैश्विक बाजारों की मजबूती, ब्याज दरों में कटौती की बढ़ती संभावनाएं और विदेशी निवेशकों की आक्रामक खरीद ने बाजार को ऐसा सहारा दिया कि इंडेक्स लगातार नई ऊंचाइयों को छूते गए.

निफ्टी ने 26,306.95 का नया ऑल-टाइम हाई बनाया, जो पिछले साल सितंबर में बने रिकॉर्ड को तोड़ता है. सेंसेक्स भी पहली बार 86,000 के पार पहुंच गया और 86,026.18 तक चढ़ गया. सुबह 10:15 बजे के आसपास सेंसेक्स 318 अंक ऊपर था, जबकि निफ्टी करीब 73 अंक की बढ़त में कारोबार कर रहा था. निफ्टी के हैवीवेट स्टॉक्स बजाज फाइनेंस, श्रीराम फाइनेंस, एशियन पेंट्स, बजाज फिनसर्व और एलएंडटी में 2% तक की तेजी दिखी.
बाजार के उछाल की 5 बड़ी वजहें
- एफपीआई की दमदार खरीद
विदेशी निवेशक पिछले दो दिनों से जमकर खरीदारी कर रहे हैं. बुधवार को एफपीआई ने 4,778 करोड़ रुपये से ज्यादा की नेट खरीद की. इससे पहले मंगलवार को भी उन्होंने करीब 785 करोड़ रुपये डालकर बाजार को सपोर्ट दिया था.
जियोजित इनवेस्टमेंट्स के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट डॉ. वी.के. विजयकुमार का कहना है कि बाजार की इस चाल के पीछे ठोस आधार मौजूद है. अक्टूबर में मजबूत कंजम्प्शन बूम दिखा था, जिससे दिसंबर और मार्च तिमाही के नतीजों के अच्छे रहने की उम्मीदें बढ़ी हैं. उनका कहना है कि त्योहारों के बाद मांग थोड़ी धीमी भी पड़े, तो भी अर्निंग्स ग्रोथ की दिशा सकारात्मक ही बनी रहेगी.
विजयकुमार ने यह भी जोड़ा कि अमेरिकन फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें घटाने की संभावना और रूस–यूक्रेन संघर्ष में किसी प्रगति की उम्मीद से ग्लोबल सेंटीमेंट सुधरा है. हालांकि ऊंचे वैल्यूएशन किसी बड़ी रैली की रफ्तार को सीमित कर सकते हैं.
- ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद
फेडरल रिजर्व ने संकेत दिए हैं कि दिसंबर में ब्याज दरों में ढील दी जा सकती है. इसके चलते वैश्विक बाजारों के साथ भारतीय इक्विटी मार्केट में भी तेजी लौटी है. वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक अगले हफ्ते होने वाली है, जिससे रेट-सेंसिटिव स्टॉक्स- जैसे बैंकिंग, रियल एस्टेट और ऑटो में अच्छी खरीद देखने को मिली. निफ्टी ने बुधवार को पिछले पांच महीनों का अपना सबसे मजबूत सत्र दर्ज किया.
- एशियाई बाजारों से सकारात्मक लहर
अमेरिका में रेट कट की संभावना बढ़ने के बाद साउथ कोरिया, जापान, चीन और हांगकांग के बाजार भी हरे निशान में खुले. CME FedWatch के अनुसार, दिसंबर में ब्याज दर घटने की संभावना एक हफ्ते पहले के 30% से उछलकर 85% तक पहुंच गई है. इस मजबूत धार ने भारतीय बाजारों को भी ऊपर की तरफ खींचा.
- कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट
ब्रेंट क्रूड 0.48% गिरकर 62.83 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. यह गिरावट भारत के लिए हमेशा राहत मानी जाती है- क्योंकि इसका सीधा असर डॉलर आउटगो, बजट और महंगाई पर पड़ता है. कम तेल कीमतें आमतौर पर बाजार के लिए सकारात्मक संकेत होती हैं.
- IMF की रिपोर्ट से निवेशकों का भरोसा बढ़ा
IMF ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि भारत वित्त वर्ष 2029 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में है. अनुमान में एक साल की देरी जरूर है, लेकिन संस्थान का मानना है कि भारत की लंबी अवधि की विकास क्षमता काफी मजबूत है. यह अनुमान विदेशी और घरेलू- दोनों तरह के निवेशकों के भरोसे को बढ़ाने वाला रहा.
टेक्निकल चार्ट्स क्या बता रहे हैं?
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ मार्केट स्ट्रैटजिस्ट आनंद जेम्स के मुताबिक, बुधवार को निफ्टी पर बना बुलिश एंगल्फिंग पैटर्न संकेत देता है कि इंडेक्स 26,470 से 26,550 की रेंज तक बढ़ सकता है. हालांकि उन्होंने यह साफ तौर पर कहा कि यह पैटर्न लंबी रैली की शुरुआत का संकेत नहीं है, बल्कि पिछले चार दिनों की गिरावट पर एक रिवर्सल जैसा दिखता है. उनका कहना है कि निफ्टी 26,165 के ऊपर रहता है तो ट्रेंड पॉजिटिव रहेगा, लेकिन 26,098 के नीचे टिकने पर मुनाफावसूली बढ़ सकती है.
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