Supreme court On Obscene Content On Social media: सुप्रीम कोर्ट ने 27 नवंबर को OTT और सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट को लेकर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान OTT और सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट को लेकर सुप्रीम कोर्ट लाल नजर आया है। देश के शीर्ष न्यायालय ने कहा कि सोशल मीडिया पर डाले जाने वाले एडल्ट कंटेंट के लिए किसी न किसी को जिम्मेदार लेनी ही होगी। शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस संबंध में 4 हफ्ते में रेगुलेशन बनाने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने यह अहम टिप्पणी इंडियाज गॉट लेटेंट से जुड़े केस में की। इस शो के आपत्तिजनक कंटेंट पर विवाद होने के बाद रणवीर अलाहबादिया और समय रैना जैसे कई यूट्यूबर्स को सुर्खियों में ला दिया था।
सुनवाई के दौरान SG तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट के सामने मामला सिर्फ अश्लीलता से नहीं बल्कि गलत इस्तेमाल से जुड़ा है। बोलने की आजादी एक बहुत कीमती अधिकार है, लेकिन इसका गलत इस्तेमाल हो रहा है। इसपर CJI सूर्यकांत ने कहा कि यही समस्या है, मान लीजिए मैं अपना चैनल बनाता हूं। मैं कुछ भी अपलोड करूं, मैं किसी के प्रति जवाबदेह नहीं हूं। ऐसे मामलों में किसी को तो जवाबदेही लेनी होगी।
जस्टिस बागची ने कहा कि ऐसे कंटेंट पर एक साफ चेतावनी होनी चाहिए, ताकि कोई इसे देखकर परेशान न हो जाए। यह चेतावनी सिर्फ 18+ वालों के लिए नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए हो जो यह देख रहा है। वहीं सीजेआई ने कहा कि एक लाइन की वॉर्निंग और फिर वीडियो शुरू हो जाता है, इससे प्रॉब्लम होती है। जब तक इंसान वॉर्निंग समझता है, तब तक वह निकल जाता है। हम कह रहे हैं कि वॉर्निंग 2 सेकंड के लिए हो। फिर शायद आपका आधार कार्ड वगैरह मांगा जाए, ताकि आपकी उम्र वेरिफाई हो सके और फिर प्रोग्राम शुरू हो। हालांकि उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक सुझाव है।
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