मशहूर संत प्रेमानंद जी महाराज इन दोनों भक्तों के बीच लगातार चर्चाओं में है. देश ही नहीं विदेशों में भी उनकी ख्याति व्याप्त है, वह हर रोज बड़ी संख्या में भक्तों को दर्शन देते हैं. उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि देशभर में उनके संत और प्रवचन सुनने के लिए लोग उनके धाम पहुंचते हैं.

संत समुदाय के प्रतिष्ठित आध्यात्मिक गुरु ने अपने ही प्रवचन में एक महत्वपूर्ण बयान दिया था. उन्होंने कहा कि ओम नमः शिवाय मंत्र हर व्यक्ति के लिए जपने योग्य नहीं है. ओम नमः शिवाय केवल पांच अक्षरों का मंत्र नहीं बल्कि शिव तत्व का साक्षात आव्हान माना गया है. यह पंचाक्षरी मंत्र मन, बुद्धि और चित्त को पवित्र करने वाला बताया गया है. कहा जाता है कि निरंतर जब से साधक के भीतर स्थिरता, निर्भरता और दैवीय शक्ति का संचार होता है.

महाराज जी के अनुसार, इस मंत्र की शक्ति तभी जागृत होती है. जब इसे गुरू मार्गदर्शन में आध्यात्मिकता के साथ ग्रहण किया जाए. उनका मानना है कि बिना दीक्षा के इस मंत्र का जाप करना उचित नहीं, क्योंकि मंत्र केवल उच्च प्राथमिक शब्द नहीं, बल्कि गुरु कृपा और साधक की साधना का संयुक्त परिणाम है.

महाराज जी के अनुसार, यदि साधक वास्तव में शिव तत्व का अनुभव करना चाहता है तो उसे गुरु के सानिध्य में मंत्र दीक्षा लेकर ही दिव्या पंचाक्षरी का मंत्र जप करना चाहिए. ओम नमः शिवाय की संपूर्ण शक्ति साधक के जीवन में उजाला भारती है.