नई दिल्ली. दिल्ली के पूर्व पर्यावरण मंत्री और आम आदमी पार्टी गुजरात के प्रभारी गोपाल राय ने प्रदूषण को छिपाने के लिए भाजपा सरकार द्वारा आंकड़ों में किए जा रहे फर्जीवाड़े को दिल्ली की जनता के लिए बेहद खतरनाक बताया है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार आंकड़ों में फर्जीवाड़ा कर कागजों में प्रदूषण तो कम कर लेगी, लेकिन दिल्ली के लोगों पर जो इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है, उसको कैसे कम कर सकती है? दिल्ली में प्रदूषण बढ़ रहा है और सरकार ग्रेप के प्रतिबंधों को हटा रही है, जो यह दिखा रहा है कि भाजपा सत्ता के अहंकार में डूबी हुई है।

वहीं, जब “आप” सरकार में प्रदूषण का स्तर बढ़ता था तो हम विशेषज्ञों से राय लेते थे और जमीन पर काम करते थे, लेकिन भाजपा सरकार तो आंकड़ों में ही हेरफेर कर रही है। गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में सर्दियों के दौरान प्रदूषण की स्थिति हर बार चिंताजनक बनी रहती है और पूरे उत्तर भारत की जनता को इसकी मार झेलनी पड़ती है। लेकिन मैं पहली बार देख रहा हूं कि सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सकारात्मक कदम उठाने के बजाय डाटा मैनेजमेंट में जुटी हुई है।

यह प्रवृत्ति जनता के लिए अत्यंत घातक है, क्योंकि यदि कोई बीमारी को छिपाएगा तो वह बीमारी और अधिक विकराल रूप धारण कर लेगी। सरकार यह सोच रही है कि आंकड़ों में हेराफेरी करके वे प्रदूषण को कम दिखा देंगे। इससे कागजों पर तो प्रदूषण कम हो सकता है, लेकिन लोगों के जीवन पर पड़ने वाला इसका दुष्प्रभाव कम नहीं हो रहा, बल्कि और बढ़ रहा है।

गोपाल राय ने बताया कि जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी और हमें डाटा में प्रदूषण की वास्तविक स्थिति दिखाई देती थी, तो हमें बेचैनी होती थी कि प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ रहा है, अब हम और क्या उपाय कर सकते हैं। हम विशेषज्ञों और अधिकारियों के साथ चर्चा करते थे और धरातल पर उतरकर काम करते थे। लेकिन अब जब आंकड़ों में ही हेराफेरी कर दी गई है, तो न भाजपा मंत्री को कुछ करने की आवश्यकता महसूस हो रही है, न मुख्यमंत्री को, न विशेषज्ञों से बात करने की जरूरत है और न ही किसी आपातकालीन उपाय को लागू करने की। जो यह परिस्थिति पैदा हुई है, वह एक मानवीय अपराध है। आज भाजपा सरकार प्रदूषण रोकने के लिए काम नहीं कर पा रही, यह बात समझ में आती है, लेकिन प्रदूषण को छिपाने के लिए जो डाटा चोरी का काम चल रहा है, वह बेहद खतरनाक है।

गोपाल राय ने आगे कहा कि इस लापरवाही का असर साफ दिखाई दे रहा है। आंकड़े बता रहे हैं कि दिल्ली में सबसे ज्यादा एयर प्यूरीफायर बिक रहे हैं और अस्पतालों में प्रदूषण की मार झेलने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि कल एक्यूआई जितना था, आज प्रदूषण का स्तर उससे ज्यादा बढ़ गया है। लेकिन कल जब स्तर कम था तो ग्रैप-3 लागू था और आज जब स्तर बढ़ा है तो उसे हटा दिया गया। जब प्रदूषण घट रहा हो तब प्रतिबंध हटाना समझ आता है, लेकिन बढ़ते प्रदूषण के बीच आपातकालीन उपायों को हटाना यह दर्शाता है कि भाजपा सरकार अहंकार में डूब गई है। उन्हें लगता है कि वे कुछ न भी करें, जनता की जान जाए या लोग परेशान रहें, तब भी वे चुनाव जीत जाएंगे। गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर यह एक घातक और अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति पैदा हो गई है।