Rajasthan News: देशभर में SIR को लेकर तरह तरह की चर्चाएं जारी हैं. वोटर लिस्ट संशोधन अभियान पर सवाल भी उठ रहे हैं, लेकिन इसी बीच एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने सबका ध्यान खींच लिया. भीलवाड़ा में SIR की वजह से एक मां को अपना बिछड़ा बेटा 45 साल बाद मिल गया.

सूरज गांव के मझरे से लापता हुआ उदय सिंह करीब 1300 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ में गुमनामी की जिंदगी जी रहा था. बुधवार शाम वह अचानक अपने गांव पहुँचा तो तीन दशक से ढूंढ रहे परिजन उसे देखकर भावुक हो गए. मां की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे. खबर सुनकर दूर-दराज के रिश्तेदार भी मिलने आने लगे. पूरे गांव में मानो त्योहार जैसा माहौल बन गया. उदय सिंह का स्वागत दूल्हे की तरह घोड़ी पर बैठाकर और बिंदौरी निकालकर किया गया.
उदय सिंह रावत 1980 में अचानक घर से गायब हो गए थे. परिजन लगातार खोजते रहे, लेकिन पता नहीं चला. उधर उदय सिंह छत्तीसगढ़ पहुंचकर एक निजी कंपनी में गार्ड की नौकरी करने लगे. बीच में एक सड़क हादसे में उन्हें सिर पर चोट लगी, जिससे याददाश्त चली गई और घर-परिवार की बातें धुंधली पड़ गईं. SIR अभियान शुरू होने पर दस्तावेजों की खोज में उन्हें अपने गांव का नाम सुराज और अपनी जाति याद आई.
इसी सुराग के आधार पर वह बुधवार को भीलवाड़ा के सुराज गांव स्थित स्कूल में वोटर फॉर्म की जानकारी लेने पहुंचे. उनकी बातें सुनकर रिकॉर्ड मिलान के दौरान स्कूल के शिक्षक को शक हुआ और उसने परिजनों को सूचना दी. 45 साल बीत चुके थे, पहचान आसान नहीं थी. लेकिन उदय सिंह ने परिवार की कई निजी यादें और बचपन की बातें बताईं, जिससे शक दूर होने लगा. अंतिम पुष्टि तब हुई जब मां चुनी देवी रावत ने बेटे के माथे और सीने पर पुराने घावों के निशान देखे. उन्हें यकीन हो गया कि उनका ही बेटा उनके सामने है.
बेटे के मिलते ही गांव में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. ढोल-नगाड़ों और DJ के साथ जुलूस निकाला गया और उदय सिंह को घर लाया गया.
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