राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्य प्रदेश ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए देश में पहला राज्य बनने का गौरव हासिल किया है। अब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत होने वाली मजदूरी सीधे महिला मजदूर के बैंक खाते में जाएगी, न कि परिवार के पुरुष मुखिया के खाते में। 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार की पहल पर केंद्र सरकार ने मनरेगा के राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर में नया फीचर जोड़ा है। इसके तहत अब जॉब कार्ड में महिला को ही मुखिया बनाया जा सकेगा और पूरी मजदूरी राशि उनके खाते में ही ट्रांसफर होगी।

क्या बदलेगा अब?

पहले: परिवार का मुखिया (अधिकांश मामलों में पुरुष) ही जॉब कार्ड का मालिक होता था, मजदूरी उसके खाते में जाती थी, भले ही काम महिला ने किया हो। अब: महिला को जॉब कार्ड का मुखिया बनाया जा सकेगा। मजदूरी 100% महिला के बैंक खाते में आएगी,इसे ‘मां का बगिया’ योजना का हिस्सा बनाया गया है।

कब से लागू होगी नई व्यवस्था?

15 अगस्त 2025 के बाद शुरू किए गए मनरेगा कार्यों पर यह नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। पुराने जॉब कार्ड धीरे-धीरे अपडेट किए जाएंगे। 

तकनीकी बाधा हुई दूर

राज्य के लगभग 31,500 मनरेगा समूहों में पहले केवल 1% से भी कम समूहों में ही महिला मुखिया दर्ज थी। इसके चलते मजदूरी महिला के खाते में ट्रांसफर करना तकनीकी रूप से संभव नहीं था। मध्य प्रदेश सरकार ने 2 सितंबर 2025 को केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था। केंद्र ने तुरंत स्वीकृति देकर सॉफ्टवेयर में नया विकल्प जोड़ दिया। मध्य प्रदेश एक बार फिर महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में देश के सामने मिसाल पेश कर रहा है। लाडली बहना योजना के बाद मनरेगा में यह दूसरा बड़ा कदम है, जो ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा।

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