हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां बीजेपी सांसद शंकर लालवानी के बेटे मीत लालवानी को देश की बड़ी निजी बैंक एचडीएफसी की ओर से वसूली का कानूनी नोटिस भेजा गया है। नोटिस में आरोप लगाया गया है कि उन्होंने क्रेडिट कार्ड का बकाया जानबूझकर नहीं चुकाया और अब बैंक से उन पर 14 लाख 91 हजार रुपये से ज्यादा की देनदारी बकाया है। यह मामला केवल बकाया बिल तक सीमित नहीं बताया गया है, बल्कि बैंक के नोटिस में इसे धोखाधड़ी की मंशा से जोड़ते हुए गंभीर कानूनी धाराओं का हवाला दिया गया है। बैंक का दावा है कि कार्ड जारी करते वक्त तय शर्तों के बावजूद भुगतान नहीं किया गया, लेट फीस और ब्याज बढ़ता गया और अब स्थिति यह है कि बकाया लाखों में पहुंच चुका है।

नोटिस में क्या है बैंक का दावा

बैंक के एडवोकेट द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, मीत लालवानी को एचडीएफसी बैंक ने क्रेडिट कार्ड सुविधा दी थी, जिसके तहत उन्होंने ट्रांजैक्शन किए। लेकिन भुगतान की बारी आई तो मासिक किस्तें, ब्याज और अन्य शुल्क अदा नहीं किए गए। बैंक का कहना है कि लगातार कॉल, पत्राचार और व्यक्तिगत संपर्क के बावजूद राशि जमा नहीं हुई। नोटिस में आरोप लगाया गया है कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर हुआ। बैंक का दावा है कि ट्रांजैक्शन में पोकरबाजी और बाजी नेटवर्क जैसे ऐप्स का नाम सामने आया है और यहीं पर बड़ी रकम खर्च की गई, जबकि भुगतान के समय बैंक को नजरअंदाज किया गया।

‘गलत मंशा’ का सीधा आरोप, आपराधिक धाराओं का जिक्र

नोटिस में आरोप है कि क्रेडिट कार्ड लेते समय भुगतान की नीयत ठीक नहीं थी और बैंक को गुमराह किया गया। इसी आधार पर बैंक ने भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 316(2) और 318(4) का उल्लेख करते हुए इसे दंडनीय अपराध बताया है। इसके अलावा बैंक ने मध्यप्रदेश लोकधन शोध्य राशियों की वसूली अधिनियम, 1987 के तहत वसूली की कार्रवाई का संकेत भी दिया है।

सात दिन का अल्टीमेटम

बैंक की ओर से भेजे गए नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि अगर 7 दिनों के भीतर पूरी बकाया राशि जमा नहीं की गई तो सिविल और क्रिमिनल दोनों तरह की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। बैंक ने यह भी कहा है कि आगे होने वाले सभी खर्च, कोर्ट फीस और कार्रवाई की जिम्मेदारी भी कार्डधारक की होगी।

पता, मोबाइल—सब दर्ज, नोटिस की गंभीरता साफ

नोटिस में मीत लालवानी का पूरा पता और संपर्क विवरण दर्ज है। इससे यह संकेत मिलता है कि यह कोई सामान्य रिकवरी कॉल नहीं, बल्कि विधिवत कानूनी प्रक्रिया की शुरुआत है।

बड़ा सवाल—कानून सबके लिए बराबर?

अब सवाल यह है कि आम आदमी की एक किस्त बकाया हो तो बैंक सख़्ती दिखाता है, तो क्या सांसद के बेटे के मामले में भी वही सख्ती दिखाई जाएगी? क्या यह मामला कोर्ट तक जाएगा या नोटिस तक सिमट कर रह जाएगा?

इस पूरे मामले में शंकर लालवानी के बेटे मीत लालवानी ने इस क्रेडिट कार्ड को इस्तेमाल करने से इनकार किया है उन्होंने कहा है कि पहले उनके पास एक क्रेडिट कार्ड था जिसे उन्होंने बंद करवा दिया।  ऐसे में सवाल खड़ा होता है अगर क्रेडिट कार्ड बंद करवा दिया तो फिर यह किस क्रेडिट कार्ड का स्टेटमेंट है और अगर यह क्रेडिट कार्ड सही में मीत लालवानी के द्वारा इस्तेमाल किया गया है तो क्या सांसद पुत्र होने के नाते एचडीएफसी बैंक को सांसद पुत्र चूना लगाने की फिराक में थे। 

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