पटना। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुए भले ही 11 दिन हुए हो, लेकिन सरकार बनने के बाद से राष्ट्रीय जनता दल लगातार नीतीश कुमार पर हमलवार है। एक तरफ जहां नीतीश कुमार सभी वर्गों को साधने में लगे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनता दल उनके कार्यों को लेकर कई तरह के सवाल उठाए हैं। राजद के नेता ने अपने बयान में कहा कि बिहार में नई सरकार बनने के बाद सत्ता के शीर्ष पदों पर बैठे नेताओं के बीच बढ़ती खींचतान अब खुले तौर पर दिखने लगी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के बीच सरकारी योजनाओं और फैसलों का क्रेडिट लेने की होड़ ऐसी स्थिति पैदा कर रही है जिसमें सबसे अधिक नुकसान आम जनता का हो रहा है। सड़कों से लेकर सरकारी दफ्तरों तक लोग सवाल पूछ रहे हैं- क्या हमारी समस्याओं का समाधान भी किसी की प्राथमिकता है?

विकास बनाम कार्रवाई: कौन लेगा श्रेय?

राजद का कहना है कि एनडीए की नई सरकार में जेडीयू और भाजपा दोनों अपनी-अपनी उपलब्धियों का ढोल पीटने में जुटी हैं। जेडीयू जहां रोजगार, नौकरी और विकास की योजनाओं को अपनी उपलब्धि बताकर प्रचारित कर रही है वहीं भाजपा अपराध पर नकेल कसने के नाम पर 400 अपराधियों और माफियाओं की सूची जारी करने पर जोर दे रही है। दोनों दलों की यह बयानबाजी उस समय खटकती है जब आम लोग बढ़ती समस्याओं से जूझ रहे होते हैं। ग्रामीण इलाकों के युवाओं का कहना है कि कागज पर योजनाए हैं लेकिन जमीन पर बदलाव नजर नहीं आता।

20 साल के सुशासन पर उठते सवाल

राजद नेता ने कहा भाजपा की अपराधियों की सूची ने नीतीश कुमार के लंबे सुशासन कार्यकाल पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं, क्योंकि दो दशकों से वे बिहार के गृह विभाग की जिम्मेदारी भी संभालते रहे हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह बयानबाजी सहयोगी दलों के बीच दरार का संकेत है। उधर जनता का कहना है कि नेताओं की राजनीति से अधिक जरूरी है कि सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर वास्तविक काम हो।

जनता कह रही- होड़ नहीं, काम चाहिए

नई सरकार बनने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि राहतकारी फैसले जल्दी आएंगे लेकिन उन्हें क्रेडिट की राजनीतिक जंग देखने को मिल रही है। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच आम लोग महसूस कर रहे हैं कि उनकी वास्तविक जरूरतें हाशिये पर चली गई हैं।