पटना। बिहार के रैयतों को लगातार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे-कभी सर्टिफाइड कॉपी प्राप्त करने के लिए तो कभी म्यूटेशन अपील में अनावश्यक आपत्तियों के कारण। लेकिन नई सरकार बनने के बाद राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस पीड़ा को समझते हुए बड़ा कदम उठाया है। अब न केवल प्रक्रिया को आसान किया जा रहा है बल्कि जिम्मेदारी तय करते हुए जवाबदेही भी सख्त की जा रही है।
DCLR होंगे CO कार्यालयों की कार्यप्रणाली के लिए जिम्मेदार
भूमि सुधार उपसमाहर्ताओं (DCLR) के दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने साफ कहा कि अंचल कार्यालयों की कार्यप्रणाली की पूरी जवाबदेही DCLR पर होगी। उन्होंने माना कि कई जगह निरीक्षण और समीक्षा नियमित रूप से नहीं हो रही, जबकि रैयतों की सुविधा के लिए यह सबसे जरूरी है। उन्होंने निर्देश दिया कि सभी DCLR हलका स्तर तक निरीक्षण करें और हर महीने कम से कम दो समीक्षा बैठकें करें।
लंबित मामलों पर सख्ती
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि DCLR कोर्ट में पेंडिंग मामलों की संख्या चिंताजनक है। उन्होंने आदेश दिया कि महीने में कम से कम चार दिन नियमित रूप से कोर्ट की सुनवाई करनी होगी। राजस्व महाअभियान से मिले 45 लाख आवेदनों का त्वरित निपटारा विभाग की शीर्ष प्राथमिकता है।
सर्टिफाइड कॉपी की प्रथा खत्म
विभाग के सचिव जय सिंह ने राजस्व कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम पर चर्चा करते हुए कहा कि अब से म्यूटेशन अपील में केवल डिजिटली साइन प्रतियां ही मान्य होंगी। लोगों को अनावश्यक रूप से दफ्तर बुलाने की प्रथा को भी बंद करने का निर्देश दिया गया।
ऑनलाइन सिस्टम से बढ़ेगी पारदर्शिता
आनंद शंकर ने ऑनलाइन व्यवस्था से मिलने वाले लाभ और लंबित वादों की स्थिति पर प्रेजेंटेशन दिया। विशेषज्ञों ने भी अपने तकनीकी सुझाव साझा किए।
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