विकास कुमार/सहरसा। जिले के महिषी प्रखंड के नहरवार पंचायत में एक ऐसा पुल खड़ा है, जो लोगों के लिए राहत बनने के बजाय उनकी रोजमर्रा की मुसीबतों का कारण बन गया है। पांच साल पहले धमुरा नदी पर ग्रामीण कार्य विभाग ने इस पुल का निर्माण शुरू किया था, लेकिन कुछ ही महीनों बाद काम अचानक बंद कर दिया गया। आधा-अधूरा पड़ा यह पुल अब ग्रामीणों की बेबसी और सरकारी उदासीनता की कहानी बयान करता है।

आधे बने पुल में बंधी गायें

काम ठप होने के बाद पुल का अधूरा ढांचा धीरे–धीरे ग्रामवासियों के लिए गौशाला बन गया। जिस पुल पर गांव को जोड़ने का सपना देखा गया था, आज वहां मवेशी बंधे नजर आते हैं। स्थिति यह है कि निर्माण करने वाली एजेंसी का बोर्ड तक नहीं लगा है, जिससे लोग यह भी नहीं जान पा रहे कि काम रुका किस वजह से और शुरू कब होगा।

ग्रामीणों की मजबूरी-खुद बनाया चचरी पुल

पांच साल की लंबी प्रतीक्षा और बढ़ती परेशानियों के बाद ग्रामीणों ने अब अपने दम पर समाधान खोज लिया है। दो महीने पहले मुखिया और स्थानीय लोगों ने मिलकर धमुरा नदी पर चचरी पुल तैयार किया, जिसके सहारे रोज करीब सैकड़ों लोग आवाजाही कर रहे हैं। बारिश के मौसम में यह पुल जोखिमपूर्ण भी साबित हो सकता है, लेकिन ग्रामीणों के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं।

मुआवजा विवाद में फंसा निर्माण कार्य

स्थानीय लोगों का कहना है कि निजी जमीन के मुआवजे को लेकर मामला उलझा होने के कारण निर्माण बीच में ही रुक गया। ग्रामीणों ने विभाग से इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर जल्द से जल्द निर्माण कार्य को दोबारा शुरू करने की मांग की है।