देहरादून. बीते कुछ दिनों से अधिवक्ताओं की हड़ताल जारी है. ये हड़ताल रैन बसेरे को लेकर की जा रही है. इसे लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत की प्रतिक्रिया सामने आई है. उन्होंने कहा है कि जिस परिसर में रैन बसेरा बना रहे हो, वह परिसर वस्तुतः अदालत का परिसर है। रैन बसेरा तो कहीं और भी बनाया जा सकता है. मगर अधिवक्ताओं के चैंबर तो उसी परिसर के आस-पास होने चाहिए.
पूर्व सीएम ने एक्स पर एक पोस्ट साझा किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि ‘कुछ सेवाएं इतनी महत्वपूर्ण होती हैं कि उनका बाधित होना, समाज के बड़े हिस्से को प्रभावित करता है. डॉक्टर्स, दुकानदार, एडवोकेट्स, अध्यापक, ट्रांसपोर्टर्स आदि-आदि. यदि यह सेवाएं बाधित हो रही हैं तो शासन को त्वरित रूप से उन कारणों का निदान करना चाहिए, जिसके कारण यह सेवाएं बाधित हो रही हैं. देहरादून में अधिवक्ताओं की हड़ताल बहुत लंबे समय से चल रही है. अदालतों के काम लगभग ठप पड़े हैं. समाचार देखने को मिला था कि मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप किया है. वह मिले हैं. मैंने उनका एक फोटो भी देखा था.’
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‘अधिवक्ताओं के साथ माननीय मुख्यमंत्री का फोटो भी प्रकाशित हुआ था. लेकिन अधिवक्ता अब भी हड़ताल पर हैं. उनकी हड़ताल का कारण बहुत सीधा सा है कि आप जिस परिसर में रैन बसेरा बना रहे हो, वह परिसर वस्तुतः अदालत का परिसर है. रैन बसेरा तो कहीं और भी बनाया जा सकता है. मगर अधिवक्ताओं के चैंबर तो उसी परिसर के आस-पास होने चाहिए और इस पेशे में आने वालों की संख्या निरंतर बढ़ रही है तो ऐसे हालात में उस भावी आवश्यकता को भी ध्यान में रखकर निर्णय लिया जाना चाहिए, तो शासन की यह जिद मेरी समझ में नहीं आ रही है कि आप रैन बसेरा वहीं बनाएंगे. मैं, कल दिनांक-29 नवंबर, 2025 को ‘शासन की इस जिद और उनकी सद्बुद्धि के लिए अपने आवास पर 1 घंटे का “मौन व्रत” रखूंगा.’
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