Margashirsha Purnima 2025 : मार्गशीर्ष अपने समापन की और है. इस माह की पूर्णिमा को बहुत पवित्र और शुभ माना जाता हैं, इसे भक्ति-भाव, दान और आध्यात्मिक तरक्की का मौका माना जाता है. इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा जिसे अगहन की पूर्णिमा भी कहा जाता है, 4 दिसंबर को सुबह 8:38 बजे शुरू होगी. 5 दिसंबर को सुबह 4:43 बजे समापन होगी. उदय तिथि के अनुसार पूर्णिमा तिथि 4 दिसंबर को ही रहेगी. इसलिए पूर्णिमा का व्रत 4 दिसंबर को रखा जाएगा. मार्गशीर्ष माह में की गई पूजा, व्रत और दान का फल दूसरे अन्य महीनों की तुलना में कई गुना अधिक मिलता है. यही वजह है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा को सबसे शुभ और पवित्र दिन माना जाता है. इस मौके पर मां अन्नपूर्णा, भगवान हरि विष्णु और सूर्यदेव की उपासना का फल मिलता है.

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व
मार्गशीर्ष पूर्णिमा चांद के पूरे होने का प्रतीक है. इस दिन चांद की किरणों में खास एनर्जी का संचार होता है. जिससे तन और मन को शांति मिलती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदियों और तीर्थ स्थलों पर स्नान करने से पुण्य मिलता है. इसे आनंद पूर्णिमा भी कहा जाता है, क्योंकि यह आध्यात्मिक संतुष्टि और खुशी का रास्ता बनाती है. श्रीमद् भगवद् गीता में कहा गया है, मार्गशीर्ष महीने में की गई पूजा और दान का फल कई गुना बढ़ जाता है. जो लोग इस दिन दान, तप और पूजा करते हैं. उन्हें पूरे साल के सभी पुण्य कर्मों का एक जैसा फल मिलता है. इन समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
इस दिन क्या करें
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के लिए भगवान सत्यनारायण की कथा फलदायी होती है. पवित्र नदियों में स्नान करें. विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने और तुलसी चढ़ाने से जीवन में सुख और शांति आती है. संध्या के समय घर में घी का दीपक जलाकर आरती करने से पॉजिटिव एनर्जी का संचार बढ़ता है.
पूर्णिमा के दिन क्या दान करें
भारतीय संस्कृति दान का महत्व है. दान से पुण्य की प्राप्ति और दुखों का नाश होता है. पूर्णिमा के दिन दान करने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं. संभव हो तो इस दिन गरीबों असहाय और जरूरतमंदों को अन्न दान, गर्म कपड़े का दान और सेवा दान करें.
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