India-Russia Defence Deal: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) 4 दिसंबर को भारत आ रहे हैं। वहीं पुतिन के दिल्ली दौरे से 24 घंटे पहले रूस से GOOD News आई है। भारत-रूस एक-दूसरे का मिलिट्री बेस इस्तेमाल करेंगे। रूस की संसद के निचले सदन स्टेट ड्यूमा ने मंगलवार को भारत और रूस के बीच हुए एक सैन्य समझौते ‘RELOS’ को मंजूरी दे दी है। इसके तहत दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के मिलिट्री बेस, फैसिलिटीज और संसाधनों का इस्तेमाल और एक्सचेंज कर सकेंगी।
बता दें कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को भारत आ रहे हैं। वे नई दिल्ली में 23वें भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। पुतिन दिल्ली में सीक्रेट जगह रुकेंगे। इसका ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया गया है। 4-5 दिसंबर को दिल्ली मल्टी लेयर सिक्योरिटी के घेरे में रहेगी। अब पुतिन के दौरे से पहले दोनों देशों के बीच बड़ी डिफेंस डील की गई है।
अब दोनों देश की सेना एक दूसरे के मिलिट्री बेस पर विमान, वॉरशिप ईंधन भरने, मिलिट्री बेस पर डेरा डालने या अन्य लॉजिस्टिक सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकेंगे। इस पर आने वाला खर्च बराबर-बराबर उठाया जाएगा। यह समझौता इस साल 18 फरवरी को भारत और रूस के बीच किया गया था। पिछले हफ्ते रूसी प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तिन ने इसे संसद में मंजूरी के लिए भेजा था। जिसे मंजूर कर लिया गया है।
जंग के समय मिलिट्री बेस इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं
हालांकि इस समझौते के तहत जंग या किसी सैन्य संघर्ष के दौरान मिलिट्री बेस इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होगी। यह सिर्फ लॉजिस्टिक सपोर्ट और पीस-टाइम मिलिट्री कोऑपरेशन के लिए है। लॉजिस्टिक सपोर्ट का मतलब है कि देश एक-दूसरे की सेनाओं को जरूरत पड़ने पर ईंधन, सामान, मरम्मत जैसी मदद दें। वहीं, पीस-टाइम मिलिट्री कोऑपरेशन का मतलब है कि शांतिपूर्ण समय में देशों की सेनाएं मिलकर ट्रेनिंग और सहयोग करें।
रूस-भारत एक दूसरे की आसानी से मदद कर सकेंगे
रूसी संसद के स्पीकर ने कहा कि भारत और रूस के रिश्ते बहुत मजबूत हैं और यह समझौता उन रिश्तों को और बेहतर बनाएगा। रूसी सरकार ने भी बताया कि इस समझौते से दोनों देशों की सैन्य साझेदारी ज्यादा मजबूत होगी और जरूरत के समय एक-दूसरे की मदद करना आसान हो जाएगा। इस समझौते के बाद भारत ऐसा पहला देश बन जाएगा, जिसका अमेरिका और रूस के साथ सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर साझा करने का समझौता होगा। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने मंगलवार को भास्कर के सवाल पर इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि रूस के साथ यह समझौता अंतिम चरण में है। इससे अमेरिका-रूस के बीच किसी सैन्य टकराव की नौबत पैदा नहीं होगी।
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