दिल्ली के लाखों व्यापारियों के लिए बुधवार को बड़ी राहत लेकर आया। दिल्ली नगर निगम (MCD) ने एक अहम और ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए जनरल ट्रेड लाइसेंस को सीधे संपत्ति कर भुगतान प्रणाली से जोड़ दिया है। इस कदम से न सिर्फ लाइसेंस प्रक्रिया सरल और तेज़ होगी, बल्कि कागजी कार्रवाई तथा भ्रष्टाचार की संभावनाएं भी काफी हद तक घटने की उम्मीद है। नया मॉडल राजधानी के कारोबारियों के लिए पारदर्शी, सुविधा आधारित और भरोसे की नींव पर खड़ी व्यवस्था की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है।
लाइसेंस के लिए अलग आवेदन की झंझट खत्म
MCD ने डीएमसी एक्ट की धारा 417 में बड़ा संशोधन करते हुए ट्रेड लाइसेंस को अब सीधे संपत्ति कर भुगतान प्रणाली से जोड़ दिया है। इसके साथ ही व्यापारियों को अब लाइसेंस के लिए किसी अलग फॉर्म, प्रक्रिया या दस्तावेज़ जमा करने की आवश्यकता नहीं होगी। संपत्ति कर का भुगतान करते समय ही लाइसेंस शुल्क स्वतः शामिल हो जाएगा और उसी की रसीद पर अनुमोदन की मुहर लग जाएगी, जिसे वैध जनरल ट्रेड लाइसेंस माना जाएगा।
व्यापारियों के लिए राहतकारी कदम
नगर निगम के इस फैसले का स्वागत करते हुए दिल्ली के महापौर राजा इकबाल सिंह ने इसे पारदर्शी और नागरिक-केंद्रित शासन की दिशा में एक अहम सुधार बताया। महापौर ने कहा कि यह ऐतिहासिक निर्णय दिल्ली के व्यापारिक समुदाय को बड़ी राहत देगा। अनावश्यक प्रक्रियाओं और संभावित उत्पीड़न को समाप्त करते हुए निगम ने लाइसेंसिंग प्रणाली को संपत्ति कर से जोड़कर इसे और अधिक सरल, सुविधाजनक और पारदर्शी बना दिया है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नगर निगम ईमानदार करदाताओं के साथ खड़ा है और शासन को और अधिक न्यायपूर्ण व कुशल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। नया सिस्टम सुरक्षा मानकों से कोई समझौता किए बिना अनुपालन के बोझ को कम करने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है।
लाइसेंस शुल्क अब होगा संपत्ति कर का 15%
नई व्यवस्था के तहत अब संबंधित परिसरों पर देय संपत्ति कर का 15 प्रतिशत हिस्सा ही लाइसेंस शुल्क माना जाएगा। पहले शुल्क निर्धारण व्यापार के प्रकार, दुकान के क्षेत्रफल और स्थानीयता की श्रेणी जैसे कई जटिल मानकों पर आधारित था, जिससे न केवल भ्रम की स्थिति बनती थी बल्कि शुल्क में असमानता भी देखने को मिलती थी। निगम द्वारा किए गए आंकड़ों के विश्लेषण से यह भी सामने आया है कि नई प्रणाली राजस्व के लिहाज़ से संतुलित है और सभी श्रेणियों के व्यापारियों के लिए अपेक्षाकृत अधिक न्यायसंगत मॉडल साबित होगी।
निरीक्षणों में कमी, भ्रष्टाचार पर लगाम
इस सुधार से फील्ड निरीक्षणों की आवश्यकता में उल्लेखनीय कमी आने की उम्मीद है, क्योंकि अब लाइसेंस शुल्क निर्धारण कई जटिल मापदंडों की जगह एक सरल फार्मूले से होगा। इससे न केवल अनावश्यक हस्तक्षेप घटेगा, बल्कि भ्रष्टाचार की संभावनाएं भी कम होंगी। निगम का कहना है कि यह बदलाव आत्म-घोषणा आधारित एक भरोसेमंद प्रणाली की नींव को मजबूत करेगा, जिसमें व्यापारी और विभाग दोनों समय की बचत और बेहतर पारदर्शिता का लाभ उठा सकेंगे।
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