Lalluram Desk. श्री नारायणा हॉस्पिटल के प्लास्टिक एवं रिकंस्ट्रक्टिव सर्जन डॉ नीरज पांडे ने दुर्घटना में कटी हुई उंगली को “सुपर माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी” द्वारा सफलतापूर्वक जोड़कर पूर्व की भांति काम करने लायक बना दिया. इससे मरीज की उंगली के साथ रोजगार और भविष्य भी बच गया.
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45 वार्षिक एक श्रमिक के दाहिने हाथ की इंडेक्स फिंगर अचानक कटर मशीन में फंसकर पूरी तरह कट कर हाथ से अलग हो गई, तेज खून बह रहा था, दर्द और घबराहट के बीच परिवार को लगा कि अब तो मरीज की रोजी – मजदूरी भी छिन जाएगी, लेकिन उन्होने सूझ-बूझ दिखाते हुए कटी हुई उंगली को पहले पॉलिथीन में अच्छी तरह से लपेटकर पैक किया और फिर बर्फ में प्रिजर्व करके तुरंत ही “श्री नारायणा हॉस्पिटल” पहुंचे.

अस्पताल में डॉ. नीरज पांडे ने सबसे पहले तो उसके हाथ का खून बहना रोका और उसे तुरंत ही ऑपरेशन थिएटर में शिफ्ट किया, जहां सामान्य एनेस्थीसिया देने के उपरांत X-RAY की मदद से चोट की सटीक जगह का पता लगाकर K – वायर से उंगली की हड्डी का प्रॉपर फिक्सेशन किया और फिर फ्लेक्सर और एक्सटेंशर टेंडन को जोड़ा ताकि उंगली दोबारा मुड़ या सीधी हो सके, इसके बाद 0.3 से 1.0 मिलीमीटर व्यास वाली सूक्ष्म धमनियों और शिराओं को मैग्नीफाइंग माइक्रोस्कोप के नीचे बाल से भी पतले टाँके लगाकर जोड़ा और अंत में डिस्टल नर्व की “सुपर माइक्रो वैस्कुलर रिपेयर सर्जरी” की, ताकि खून का संचार सफलतापूर्वक पुनः शुरू हो सके.
करीब 6 घंटे चली इस जटिल सर्जरी के बाद उंगली में गर्माहट और रंगत लौटने लगी, ऑपरेशन के पश्चात् मरीज को 3 सप्ताह तक आईसीयू में रखकर उसकी सतत निगरानी की गई. खून के थक्के ना बनने देने के लिए उसे एंटीकोएगुलेंट दवाइयां, एंटीबायोटिक्स तथा ड्रेसिंग बदलने का विशेष प्रोटोकॉल अपनाया गया. जब घाव भरने लगे तो उसकी फिजियोथैरेपी शुरू की गई. कुछ ही हफ्तों में मरीज अपनी कटी उंगली से हल्के वाले काम करने लगा और तीन-चार माह बाद अपने नियमित काम पर लौट आया.
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