वन विभाग ने अरावली में अवैध रूप से लगे मोबाइल टावरों पर सख्ती शुरू कर दी है। विभाग ने पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम का हवाला देते हुए टेलीकॉम कंपनियों को 12 नोटिस जारी किए और 10 दिनों के भीतर टावर हटाने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अरावली क्षेत्र में बने फार्महाउसों और अन्य अनधिकृत निर्माणों को हटाने का आदेश दिया था। इसी क्रम में वन विभाग ने नगर निगम के सहयोग से जून और जुलाई में बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ अभियान चलाया था।

दो महीने चली कार्रवाई के दौरान वन विभाग ने 261.06 एकड़ क्षेत्र में 88 स्थानों पर बने 241 अवैध निर्माण गिराए। इनमें फार्म हाउस, बैंक्वेट हॉल, मैरिज गार्डन और अन्य ढांचे शामिल थे। तोड़फोड़ अभियान उस वक्त अधिक विवादों में आया, जब टीम अनंगपुर गांव पहुंची। यहां ग्रामीणों ने विरोध किया और पत्थरबाजी की भी घटना हुई। इसके बाद सूरजकुंड थाने में करीब 11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।

मामले के तूल पकड़ने के बाद अगस्त में सीईसी ने मौके का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी। रिपोर्ट में 780.26 एकड़ वन विभाग की भूमि पर कब्जे की पुष्टि की गई। अनंगपुर में 286 एकड़ पर 5,948 निर्माण, अनखीर में करीब 250 एकड़ पर 339 निर्माण, लक्कड़पुर में लगभग 197 एकड़ पर 313 निर्माण, मेवला महाराजपुर में 46 एकड़ पर 193 निर्माण मिले थे। सीईसी की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा होने के बाद बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ नहीं हुई, लेकिन वन विभाग की टीम लगातार निगरानी रख रही है ताकि पहले से गिराए गए स्थलों पर दोबारा निर्माण न हो सके।

पीएलपीए पर्यावरण को बचाता है

पीएलपीए (Punjab Land Preservation Act) भूमि और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा कानून है। इसकी धारा 4 और 5 के तहत सरकार किसी क्षेत्र को अधिसूचित करके पर्यावरण सुरक्षा के लिए कई गतिविधियों पर रोक लगा सकती है। ऐसे अधिसूचित क्षेत्रों में बिना अनुमति निर्माण करना, फार्महाउस या बैंक्वेट हॉल बनाना, खनन, पहाड़ या चट्टान काटना, मिट्टी हटाना और पेड़ काटना अवैध माना जाता है। नियमों का उल्लंघन होने पर जुर्माना, कानूनी कार्रवाई और अवैध निर्माण गिराए जाने तक की सजा दी जा सकती है।

अवैध निर्माण हटने से दिखने लगे जंगली पशु

अरावली में वन विभाग की कार्रवाई के बाद मानव गतिविधियों में कमी आई है। इसका सीधा असर वन्यजीवन पर पड़ा है, और अब एक बार फिर जंगली जानवर खुलकर विचरण करते दिखाई दे रहे हैं। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर हिरनों के घूमते हुए कई वीडियो वायरल हो रहे हैं। वन विभाग के अधिकारियों का भी कहना है कि बड़े स्तर पर की गई तोड़फोड़ और अवैध निर्माण हटाए जाने के बाद क्षेत्र में वन्यजीवों की मौजूदगी बढ़ी है।

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