रायपुर। छत्तीसगढ़ का बस्तर एक ऐसा भूभाग जो प्रकृति की अनुपम सुंदरता, विविध आदिवासी संस्कृति और गहरी ऐतिहासिक विरासत का धनी है, परंतु यह वही बस्तर है, जिसने पिछले चार दशकों में नक्सलवाद की भयावह छाया भी देखी। कभी जिसे “धरती का स्वर्ग” कहा जाता था, वह लंबे समय तक संघर्षभूमि बनकर रह गया, परंतु आज तस्वीर बदल रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में बस्तर में नक्सलवाद का अंत अपनी अंतिम परिणति पर है। सुरक्षा बलों की बहादुरी, सरकार की सटीक रणनीति और विकास की तेज रफ्तार ने इस क्षेत्र में नई ऊर्जा और उम्मीद जगाई है। अब जब बस्तर में शांति का वातावरण लौट रहा है, तब पर्यटन के अनंत द्वार खुल रहे हैं। इको-टूरिज्म, सांस्कृतिक पर्यटन, स्थानीय उद्यमिता, सड़क और आधारभूत संरचना का विकास… सब मिलकर बस्तर की एक नई पहचान गढ़ रहे हैं।
परिवर्तन की शुरुआत—मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का निर्णायक नेतृत्व
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने न सिर्फ सख्त सुरक्षा रणनीति अपनाई बल्कि साथ ही विकास और संवाद को भी प्राथमिकता देते हुए कहा है कि “नक्सलवाद का अंत सिर्फ बंदूक से नहीं होगा। विकास और संवाद ही इस समस्या का स्थायी समाधान है।” आज उनकी यह नीति जमीन पर साकार रूप ले रही है। आज नक्सलवाद के ताबूत को बस अब अंतिम कील की प्रतीक्षा है।” नक्सलवाद समापन के तौर पर पिछले डेढ़ सालों में कई ऐतिहासिक परिणाम समाने आए हैं जिसमें शामिल है 438 नक्सली का ढेर होना, 1515 नक्सलियों का गिरफ्तार होना और 1476 नक्सलियों का आत्मसमर्पण करना। यह आँकड़े बताते हैं कि सरकार की रणनीति निर्णायक और प्रभावशाली है।


नियद नेल्ला नार योजना से अंदरूनी गांवों में विकास का चमत्कार
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की रीढ़ बन चुकी है—नियद नेल्ला नार (आपका अच्छा गांव) योजना के तहत 59 हितग्राही योजनाएँ और 28 सामुदायिक सुविधाएँ 5 किलोमीटर के दायरे वाले गांवों तक पहुँचाई जा रही हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश में में पहली बार इन गांवों तक सड़कें, पुल, बिजली, पानी, स्कूल और अस्पताल पहुँच रहे हैं।
पर्यटन: बस्तर की नई जीवन रेखा
नक्सलवाद की समाप्ति के साथ बस्तर में पर्यटन का नया अध्याय शुरू हो चुका है।सरकार ने इस क्षेत्र को पर्यटन का “भविष्य का पॉवरहाउस” घोषित किया है। बस्तर का चित्रकोट जलप्रपात (भारत का मिनी नियाग्रा), तीरथगढ़ जलप्रपात, दंतेवाड़ा का दंतेश्वरी मंदिर, अनछुए जंगल, गौरवशाली आदिवासी नृत्य, गीत और संस्कृति, झरने, गुफाएँ, हरे-भरे पर्वत, विश्वप्रसिद्ध बस्तर की धातुकला और हस्तशिल्प, शांति स्थापित होने के बाद अब पूरी दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए तैयार हो रहे हैं।

इको-टूरिज्म—बस्तर की प्रकृति की नई पहचान
सरकार बस्तर में इको-टूरिज्म सर्किट विकसित कर रही है।इसमें प्रमुख रूप से शामिल हैं—सुरक्षित जंगल सफारी नदी और झरनों के किनारे प्राकृतिक ट्रैकिंग,बर्ड वॉचिंग,जंगल कैंप, एडवेंचर स्पोर्ट्स इससे स्थानीय युवाओं को गाइड, ट्रैवल असिस्टेंट, होमस्टे मैनेजर जैसे रोजगार मिल रहे हैं।
सांस्कृतिक और पारंपरिक पर्यटन को नया जीवन
बस्तर की संस्कृतियों का आकर्षण अनोखा है—घोटुल परंपरा, बस्तरिया नृत्य, मड़ई मेलों की चमक, तीज–पोरा और लोकगीत और बस्तर दुर्गा पूजा। सरकार अब इन सांस्कृतिक आयोजनों को सीधे पर्यटन से जोड़ रही है।

होमस्टे नीति—स्थानीय परिवारों के लिए कमाई का जरिया
सैकड़ों गांवों में आदिवासी घरों को पर्यटन-अनुकूल होमस्टे में बदलने,आधुनिक सुविधाएँ देने, प्रशिक्षण कराने की व्यवस्था की गई है।इसके कारण पर्यटक अब“बस्तर की संस्कृति को जी पा रहे हैं, सिर्फ देख ही नहीं रहे।
पर्यटन अवसंरचना: तेज़ी से तैयार हो रहा नया बस्तर
छत्तीसगढ़ की साय सरकार को पता है कि पर्यटन के लिए केवल सुंदर प्राकृतिक दृश्य ही नही उसके लिए —शानदार पहुँच सड़कें, होटल, परिवहन, सुरक्षा और संचार भी ज़रूरी है। सरकार ने बस्तर में इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन शुरू करके इस काम को अंजाम देना आरम्भ किया।।सड़क और पुल निर्माण से पहली बार अंदरूनी इलाकों तक,पक्की सड़कें, नए पुल, ग्रामीण संपर्क मार्ग बन रहे हैं।
होटल, रिजॉर्ट और वेलनेस सेंटर
“बस्तर इन्वेस्टर्स कनेक्ट 2025” में राज्य की साय सरकार ने होटल, रिजॉर्ट, वेलनेस सेंटर, एडवेंचर स्पोर्ट्स प्रोजेक्ट पर 45% सब्सिडी और हिंसा प्रभावित परिवारों के लिए 10% अतिरिक्त सब्सिडी की घोषणा की थी। यह किसी भी राज्य द्वारा पर्यटन के लिए दिया गया सबसे बड़ा प्रोत्साहन है।अगले 3–5 वर्षों में पर्यटन का राज्य अर्थव्यवस्था में योगदान 3% से बढ़कर 7% तक पहुँच सकता है।यह परिवर्तन अभूतपूर्व होगा।

रोजगार और उद्यमिता से बदल रहा बस्तर के युवाओं का भविष्य
पर्यटन उद्योग सबसे अधिक रोजगार देने वाला क्षेत्र है।एक होटल खुलता है तो सीधे–अप्रत्यक्ष रूप से 40–50 लोगों को रोजगार मिलता है।सरकार ने हैंडीक्राफ्ट बस्तर आर्ट कोदो-कुटकी आधारित खाद्य उत्पाद हस्तनिर्मित आभूषणजंगल उत्पाद को राष्ट्रीय बाज़ार से जोड़ने की योजना बनाई है। युवाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें“जॉब सीकर्स नहीं, जॉब क्रिएटर्स” बनाया जा रहा है।
सुरक्षा—पर्यटन की सबसे बड़ी रीढ़
नक्सलवाद की समाप्ति के साथ बस्तर का वातावरण अब पहले से कहीं अधिक सुरक्षित है। सड़क किनारे जंगल कैम्प, सुरक्षा चौकियाँ और पेट्रोलिंग अब बेहतर स्तर पर हैं।केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कहा—“अब नक्सली बरसात में भी चैन की नींद नहीं सो पाएंगे। ऑपरेशन लगातार जारी रहेगा।” उनके इस बयान ने स्थानीय लोगों और निवेशकों में नया भरोसा जगाया है।
पर्यटन आँकड़ों में छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक प्रगति
2020 से 2025 तक छत्तीसगढ़ में आने वाले पर्यटकों की संख्या 10 गुना बढ़ गई।यह तेज़ी बताती है कि आने वाला समय पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था का युग है।बस्तर में पर्यटन की बाधाएँ और समाधानअर्थशास्त्रियों का मानना है कि नक्सलवाद का डर अभी भी लोगों के मन में है। यह डर दूर करने के लिए सामुदायिक पुलिसिंग गांव–गांव में सामुदायिक कार्यक्रम बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजन आत्मविश्वास का वातावरण पैदा कर रहे हैं।
नया बस्तर, नया भविष्य
नक्सलवाद की समाप्ति और तेजी से बढ़ते विकास कार्यों के बीच बस्तर आज एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जहाँ से उसका भविष्य बदल सकता है। पर्यटन,स्थानीय उद्यमिता, सांस्कृतिक पुनरुत्थान,आधारभूत संरचना,सुरक्षा सब मिलकर बस्तर को नई उड़ान देने के लिए तैयार हैं।सरकार की प्रतिबद्धता, सुरक्षा बलों की बहादुरी और स्थानीय समुदाय के सहयोग यह साबित कर रहा हैं कि बस्तर अब संघर्ष की नहीं, विकास और समृद्धि की नई कहानी लिख रहा है।
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