कोंडागांव। कोंडागांव जिले में कक्षा 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं की काउंटडाउन शुरू हो चुकी है. इस बार बोर्ड परीक्षाएं एक हफ्ते पहले यानी 20 और 21 फरवरी से शुरू हो रही हैं. ऐसे में छात्रों के पास तैयारी के लिए अब सिर्फ 75 दिन बचे हैं. हालात यह हैं कि जिले के कई स्कूलों में अभी तक 40% सिलेबस अधूरा है.
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शिक्षकों का कहना है कि पढ़ाई छोड़कर अन्य सरकारी कार्यों में उनकी ड्यूटी लगाई जा रही है, जिससे पढ़ाई गंभीर रूप से प्रभावित हुई है. इस बार बोर्ड परीक्षा पैटर्न में बड़ा बदलाव हुआ है और परीक्षा नए ब्लूप्रिंट के आधार पर होगी. 1 जनवरी से प्रैक्टिकल और प्रोजेक्ट वर्क शुरू हो रहे हैं, लेकिन समय बेहद कम है. जिला शिक्षा अधिकारी का दावा है कि वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जा रही है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोर्स पूरा होने की रफ्तार धीमी है. कम समय, अधूरा कोर्स और बिना तैयारी के इस बार मेरिट में जगह बनाने की उम्मीदें धुंधली दिख रही हैं.

परंपरागत वैद्य सम्मेलन – जड़ी-बूटी और उपचार पद्धति पर फोकस
जगदलपुर। जगदलपुर में शनिवार को पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को मुख्यधारा से जोड़ने की पहल शुरू हुई. वन विद्यालय परिसर में आयोजित राज्य स्तरीय पारंपरिक वैद्य सम्मेलन में बस्तर सर्कल के 200 से अधिक वैद्य शामिल हुए. कार्यक्रम में वैद्यों ने जड़ी-बूटियों की पहचान, संरक्षण और औषधि तैयार करने की पारंपरिक तकनीकों को साझा किया.
अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में डेढ़ हजार से अधिक औषधीय पौधे पाये जाते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन भी भारतीय पारंपरिक चिकित्सा मॉडल को मान्यता दे चुका है. कार्यक्रम का उद्देश्य स्थानीय वैद्यों को पहचान और सम्मान दिलाने के साथ उन्हें आय का अवसर उपलब्ध कराना है. पद्मश्री हेमचंद मांझी के अनुभवों का हवाला देते हुए विशेषज्ञों ने कहा सही औषधि और तकनीक से कई गंभीर बीमारियों का उपचार संभव है. इस सम्मेलन से उम्मीद है कि बस्तर की औषधीय विरासत राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाएगी.
19 विवेचकों का ट्रांसफर आदेश जारी
कोंडागांव। कोंडागांव जिले में पुलिस प्रशासन ने मासिक अपराध समीक्षा के बाद बड़ी कार्रवाई की है. एसपी पंकज चंद्रा ने 19 विवेचकों के स्थानांतरण आदेश जारी किए हैं. इनमें 4 थाना प्रभारी और 1 चौकी प्रभारी शामिल हैं.
नई नियुक्तियों के साथ कई थानों में नेतृत्व परिवर्तन किया गया है. डीआरजी, नक्सल सेल और रक्षित केंद्र में भी पदस्थापन अपडेट किए गए हैं. अधिकारियों का दावा है कि यह बदलाव जांच व्यवस्था को मजबूत करने और फील्ड स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किया गया है. आदेश के बाद जिले के कई क्षेत्रों में पुलिस कामकाज की रणनीति बदलने की संभावना है. नए थाना प्रभारियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती नक्सल प्रभावित इलाकों में भरोसे और सुरक्षा का माहौल मजबूत करना होगा.
ठंड का पहला बड़ा असर – कोहरे ने घटाई विजिबिलिटी, अलाव अब भी नदारद
जगदलपुर। जगदलपुर में सर्दी अब अपने पीक की ओर बढ़ रही है. शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 13.1 डिग्री दर्ज किया गया, जबकि सुबह कोहरा इतना घना रहा कि विजिबिलिटी 20 से 50 मीटर तक ही सीमित रही.
मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले 6 दिनों तक ठंड और बढ़ेगी. शहर में अलाव की व्यवस्था नहीं होने से बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन में लोगों को खुद अलाव जलाकर ठंड से बचना पड़ रहा है. हल्की बारिश और हवा में बढ़ती नमी से रातें और सर्द होंगी. लोगों ने नगर निगम से जल्द सार्वजनिक स्थानों पर अलाव और गर्म कपड़ों की वितरण व्यवस्था की मांग की है.
6500 KM की यात्रा से लौटा शांति संदेश
बस्तर। बस्तर के तीन युवा बाइकर्स चंदन दास, विवेक पगाड़े और भगत सिंह बघेल 34 दिन की शांति यात्रा पूरी कर लौट आए हैं. यात्रा में उन्होंने पूर्वोत्तर के सभी राज्यों सहित बांग्लादेश, चीन, भूटान और म्यांमार बॉर्डर तक बस्तर की संस्कृति और संदेश पहुंचाया.
बाइकर्स का कहना है कि बस्तर में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन अभी तक यह क्षमता के अनुरूप विकसित नहीं हो पाया है. वे चाहते हैं कि सरकार और समाज मिलकर पर्यटन को उद्योग के रूप में मजबूत करें, जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके.
शहर लौटने पर बाइकर्स का कई स्थानों पर स्वागत किया गया. यह यात्रा उन युवाओं की मिसाल बन चुकी है, जो अपने शहर की पहचान को देश तक पहुंचाना चाहते हैं.
जिला अस्पताल की सांसें उधारी पर, 10 करोड़ का भुगतान रुका
कोंडागांव। कोंडागांव जिला अस्पताल गंभीर संकट में है. ऑपरेशन थिएटर में बेहोशी की दवा नहीं, टांका लगाने का धागा नहीं, इंजेक्शन तक खत्म ऐसी स्थिति में डॉक्टरों को सीमित संसाधनों पर काम करना पड़ रहा है.
सीएमएचओ कार्यालय का कुल बकाया 10.17 करोड़ रुपये है. सप्लायर्स अब उधार देने को तैयार नहीं, और सरकारी सप्लाई लगभग बंद है. अल्ट्रासाउंड मशीन महीनों से नॉन-फंक्शनल है. अस्पताल अब जीवनदीप समिति के फंड पर चल रहा है, जो लगभग खत्म होने की कगार पर है. अधिकारियों का दावा है कि मांग पत्र शासन को भेजा जा चुका है, लेकिन फिलहाल स्थिति “स्वास्थ्य सेवा नहीं, मजबूरी” जैसी बनी हुई है.
3.50 करोड़ का प्रोजेक्ट… और 4 साल की मासूम मौत, जिम्मेदारी अब भी तय नहीं
कोंडागांव। नगरपालिका क्षेत्र कोपाबेड़ा में तालाब सौंदर्याकरण कार्य के दौरान खोदे गए खुले गड्ढे में 4 वर्षीय इशिका की डूबकर मौत ने पूरे शहर को झकझोर दिया है. महीनों से बिना सुरक्षा इंतज़ाम अधूरा पड़ा यह गड्ढा अब “मौत का कुआं” साबित हुआ.
स्थानीय लोगों का आरोप है काम पेटी कॉन्ट्रैक्ट में दिया गया और राजनीतिक संरक्षण के चलते निगरानी नहीं हुई. हादसे को एक हफ्ता हो चुका है, लेकिन न ठेकेदार पर FIR, न शहर में माफ़ी… सिर्फ चुप्पी. अब सबकी नज़र प्रशासन पर है क्या कार्रवाई होगी, या मासूम की मौत सिर्फ कागज़ों तक सीमित रह जाएगी? पुलिस ने मर्ग दर्ज कर जांच शुरू की है.
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