2017 के एक्ट्रेस गैंगरेप केस में मलयालम एक्टर दिलीप को अदालत से बड़ी राहत मिली है. केरल के एर्नाकुलम डिस्ट्रिक्ट सेशन कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए उन्हें बरी करने का आदेश दिया है. अभिनेत्री से दुष्कर्म केस में 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. जिसमें से 6 को दोषी पाया गया है. मगर, केरल कोर्ट ने 8 वे आरोपी दिलीप को मामले में बरी कर दिया है. केरल के कोच्चि स्थित कोर्ट में सेशन जज हनी एम. वर्गीस ने मामले पर सुनवाई की. यह मामला 8 साल से अदालत में लंबित है. केरल कोर्ट ने दिलीप समेत 2 लोगों को इस केस में दोषमुक्त कर दिया है.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी नंबर 1 से 6 दोषी हैं. इस मामले में अन्य आरोपी एनएस सुनील, उर्फ ‘पल्सर सुनी’, मार्टिन एंटनी, बी मणिकंदन, वीपी विजीश, एच सलीम उर्फ वाडीवाल सलीम, प्रदीप, चार्ली थॉमस, सनिल कुमार, उर्फ मेस्त्री सनिल, और शरथ नायर थे.
12 दिसंबर को आएगा फैसला
रेप केस की सुनवाई के दौरान अदालत ने 6 आरोपियों को दोषी करार देते हुए 12 दिसंबर को सजा सुनाने का आदेश दिया है. कोर्ट ने दिलीप को बरी कर दिया है. हालांकि, इसकी वजह अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है. 12 दिसंबर को मामले पर फैसला सुनाने के बाद सभी दस्तावेजों को सामने रखेगा.
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 17 फरवरी 2017 का है. तमिल और मलयालम फिल्मों में काम करने वाली एक जानी-मानी अदाकारा को किडनैप कर लिया गया था और चलती कार में 2 घंटे तक कई लोगों ने पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया था. इस रेप केस में एक्टर दिलीप समेत कई लोगों का नाम सामने आया था. हालांकि, दिलीप ने इन आरोपों से हमेशा इनकार किया और अब कोर्ट ने भी उनको बरी कर दिया है.
क्या थे दिलीप पर आरोप?
इस मामले में दिलीप पर पूरी साजिश रचने और घटना को अंजाम देने के लिए पल्सर सुनील को 1.5 करोड़ रुपये देने का आरोप था. प्रॉसिक्यूशन ने दावा किया था कि दिलीप ने इस पूरे रेप की साजिश रची थी, जिसमें पहले ही वो 84 दिन की जेल काट चुके हैं. लेकिन सोमवार को आए कोर्ट के फैसले में उन्हें राहत मिली.
एक्टर पर सबूत मिटाने का आरोप लगा था, और पुलिस ने 2017 में पहली चार्जशीट दायर की थी. उन्हें जुलाई में गिरफ्तार किया गया था, जब जांचकर्ताओं ने आरोप लगाया कि मुख्य आरोपी पल्सर सुनी ने उन्हें जेल से एक चिट्ठी भेजी थी. उन्हें अक्टूबर 2017 में ज़मानत मिल गई थी. 2017 में बाद में एक सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की गई, जबकि कई आरोपियों को या तो बरी कर दिया गया या वे सरकारी गवाह बन गए.
इस मामले में सभी आरोपियों पर इंडियन पीनल कोड की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे. उन पर किडनैपिंग, तोड़फोड़, गैंगरेप और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे.
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