संसद के मॉनसून सत्र में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लाया गया महाभियोग का मामला अभी निपटा भी नहीं है कि अब एक और हाई कोर्ट के जज के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के सांसद मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच के जज जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ संसद के शीतकालीन सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे हैं।

क्या है पूरा मामला ?

DMK की तरफ से यह कदम जस्टिस स्वामीनाथन के उस आदेश के बाद उठाया जा रहा है, जिसमें पिछले दिनों उन्होंने निर्देश दिया था कि मदुरै की थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ियों की चोटी पर एक दरगाह के पास स्थित मंदिर के दीबाथुन पिलर के ऊपर पारंपरिक कार्तिगई दीपम जलाया जाए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि इस पारंपरिक अनुष्ठान से दरगाह या मुस्लिम समुदाय के अधिकारों का किसी तरह से कोई उल्लंघन नहीं होगा लेकिन तमिलनाडु सरकार ने कानून और व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देते हुए हाई कोर्ट के इस आदेश को लागू करने से इनकार कर दिया।

इसके बाद राज्य में इस मुद्दे पर राजनीति गरम हो गई है। एक तरफ यह मामला हाई कोर्ट की डबल बेंच में पहुंचा है, तो दूसरी तरफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है। विवादों के बीच, विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने शुक्रवार को तमिलनाडु में DMK सरकार पर हमला बोलते हुये इसे “हिंदू विरोधी” बताया और केंद्र से “हिंदुओं के संवैधानिक अधिकारों” की रक्षा करने और राज्य में कानून का शासन सुनिश्चित करने का आग्रह किया। इस राजनीति के बीच सत्ताधारी पार्टी DMK के सांसद इस मामले को अब राष्ट्रीय स्तर पर उठाने की तैयारी कर रहे हैं। इसी रणनीति के कारण DMK अब उस जज के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी कर रही है।

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा ?

अपने आदेश में हाई कोर्ट ने मंदिर अधिकारियों और दरगाह मैनेजमेंट की आपत्तियों को खारिज कर दिया था और निर्देश दिया था कि भक्तों के एक छोटे ग्रुप (10 तक) को CISF का निगरानी में पूरी सुरक्षा के साथ रस्म पूरी करने के लिए ले जाया जाए। हालांकि, राज्य सरकार ने इसे लागू करने से इनकार कर दिया। पुलिस ने त्योहार की रात श्रद्धालुओं को पहाड़ी की चोटी पर जाने से रोक दिया, जिससे हिंदू संगठनों में आक्रोश फैल गया और वे विरोध प्रदर्शन करने लगे और पहाड़ी पर चढ़ने की कोशिश की।

बाद में 5 दिसंबर को, मद्रास हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखा, यह देखते हुए कि राज्य की मशीनरी ने “जानबूझकर” निर्देशों को लागू न करने का फैसला किया था। अधिकारियों की बाद की अपील खारिज कर दी गई। इसके बाद, तमिलनाडु सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक स्पेशल लीव पिटीशन (SLP) दायर की है, जिस पर अभी सुनवाई होनी बाकी है।

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