दिल्ली के रोहिणी इलाके में शनिवार शाम एक खौफनाक वारदात सामने आई। अमन विहार क्षेत्र में बारात को साइड देने के लिए बस ड्राइवर ने हॉर्न बजाया, जिसके बाद विवाद इतना बढ़ गया कि भीड़ ने ड्राइवर को बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या कर दी। एक मामूली हॉर्न से शुरू हुआ विवाद हत्या में बदलने के बाद इलाके में तनाव फैल गया है। घटना के विरोध में परिजनों के साथ डीटीसी कर्मचारी भी सड़कों पर उतर आए हैं। आरोपीयों को कड़ी सजा देने और मृतक के परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग जोर पकड़ रही है।

साइड के लिए हॉर्न बजाया, बात बढ़ी और ले ली जान

शनिवार रात डीटीसी बस लेकर ड्यूटी खत्म करके लौट रहे चालक विकास ने अमन विहार इलाके में बारात की वजह से लगा सड़क जाम देखा। बस को आगे बढ़ाने के लिए उसने हॉर्न बजाया, लेकिन यह मामूली बात वहां मौजूद एक ऑल्टो कार में बैठे महिला और पुरुष को नागवार गुज़री। बहस शुरू हुई और कुछ ही मिनटों में मामला इस कदर बढ़ गया कि ऑल्टो कार में बैठे व्यक्ति ने अपने साथियों को बुलाकर बस में घुसने और विकास पर हमला करने का आदेश दिया।

जब एक राहगीर ने बीच-बचाव की कोशिश की, तो उसे भी बुरी तरह पीटा गया। दोनों घायलों को पहले संजय गांधी अस्पताल और फिर सफदरजंग अस्पताल भेजा गया, जहां डॉक्टरों ने विकास को मृत घोषित कर दिया। दूसरा घायल व्यक्ति फिलहाल अस्पताल में ही इलाज जारी रखे हुए है।

मृतक के चाचा नरेश कुमार ने कहा कि विकास बेहद शांत स्वभाव का व्यक्ति था और किसी से झगड़ा करना तो दूर, ऊँची आवाज में बोलता भी नहीं था। परिजनों का कहना है कि विकास की हत्या सिर्फ इसलिए हुई क्योंकि वह ड्यूटी खत्म करके घर लौट रहा था और रास्ता साफ कराने के लिए हॉर्न बजा दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि बस ड्राइवरों पर काम का अत्यधिक दबाव होता है और उनकी सुरक्षा के लिए कोई ठोस प्रबंध नहीं हैं। परिजन इस घटना को लेकर इंसाफ की मांग करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी सज़ा की गुहार लगा रहे हैं।

कर्मचारियों की जान की कोई सुरक्षा नहीं- DTC यूनियन

विकास की मौत ने डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन को भी झकझोर दिया है। यूनियन अध्यक्ष ललित चौधरी और महामंत्री मनोज शर्मा ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार प्राइवेट बसों में तो पैनिक बटन और कैमरे जैसी सुरक्षा व्यवस्था अनिवार्य करती है, लेकिन सरकारी बस चालक-कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस प्रबंध नहीं है। उन्होंने बताया कि प्राइवेट कंपनियों में ड्राइवरों पर लगातार “ड्यूटी ओके” करने का दबाव बनाया जाता है। उन्हें डराया जाता है कि यदि ड्यूटी ओके नहीं हुई तो नौकरी से निकाल दिया जाएगा या वेतन काट लिया जाएगा। इसी दबाव और जल्दबाजी में विकास ने बारात के बीच फँसने से बचने के लिए दो बार हॉर्न बजाया, और यही उसकी मौत का कारण बन गया।

शहीद का दर्जा और 1 करोड़ के मुआबजे की मांग

घटना के बाद डीटीसी कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। यूनियन ने मांग की कि विकास को शहीद का दर्जा दिया जाए और उसके परिवार को एक करोड़ रुपये का मुआवजा प्रदान किया जाए। साथ ही ड्राइवरों और कंडक्टरों पर मानसिक दबाव तथा ‘ड्यूटी ओके’ के दबाव को तत्काल समाप्त किए जाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।

यूनियन ने पुलिस प्रशासन से यह भी आग्रह किया कि सभी आरोपियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाए, ताकि मृतक परिवार को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएँ। गौरतलब है कि पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी राहुल को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि तीन अन्य आरोपी फरार बताए जा रहे हैं। पुलिस उनकी तलाश में विभिन्न स्थानों पर दबिशें डाल रही है।

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