पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद राष्ट्रीय जनता दल (RJD) संगठनात्मक सुधार के मोड में आ गया है। समीक्षा बैठकों में कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने बागी गतिविधियों कमजोर संगठन और नेतृत्व से दूरी जैसे कई गंभीर मुद्दे उठाए जिसके बाद पार्टी के कई नेताओं पर कठोर कार्रवाई लगभग तय मानी जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल को अलग-अलग जिलों से बागी नेताओं की लिखित शिकायतें मिली हैं। लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने इन शिकायतों के आधार पर सूची तैयार कर ली है और जल्द अनुशासनात्मक कदम उठाने की संभावना है।

कार्यकर्ताओं की नाराजगी सामने आई

समीक्षा बैठक के अंतिम दिन पटना प्रमंडल के नेताओं ने खुलकर कहा कि तेजस्वी यादव को पहले की तरह अपने आवास का दरवाजा कार्यकर्ताओं के लिए खुला रखना चाहिए। उनका मानना है कि जमीनी कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद और उनकी समस्याओं पर संवेदनशीलता ही पार्टी की मजबूती का आधार है।

अल्पसंख्यक वर्ग के मुद्दे उठे

नेताओं ने माना कि तेजस्वी की A to Z सोशल मॉडल की पकड़ ग्राउंड पर कमजोर रही। आरोप लगाया गया कि 90% गरीब अतिपिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़े मुद्दों को लेकर पार्टी उतनी सक्रिय नहीं रही जितनी विपक्ष से उम्मीद थी। वहीं चुनाव लड़ने के लिए आर्थिक संसाधनों की कमी भी बड़ी चिंता के तौर पर सामने आई।

पटना संगठन और बाहरी प्रभाव पर सवाल

बैठक में कहा गया कि पटना महानगर संगठन को मजबूत करने की कभी गंभीर कोशिश नहीं हुई जिसका असर नतीजों में दिखा। जातीय तनाव और विवादित गीतों को भी हार की वजह बताया गया। साथ ही कुछ नेताओं ने शिकायत की कि हरियाणा से जुड़े बाहरी लोग पार्टी में जरूरत से ज्यादा प्रभाव बना रहे हैं जिससे स्थानीय कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर रहा है।