नीरज काकोटिया, बालाघाट। मध्य प्रदेश के बालाघाट के अतिसंवेदनशील पुलिस चौकी सोनेवानी के पालागोंदी का रहने वाला हार्डकोर नक्सली दीपक उर्फ मंगल उईके ने अब तक सरेंडर नहीं किया है। जिसे आत्मसमर्पण कराने के लिए पुलिस महकमा लगातार प्रयासरत है। लेकिन नक्सली दीपक अभी तक सरेंडर करने नहीं पहुंचा है। प्रदेश सरकार की पहल पुनर्वास से पुनर्जीवन की ओर को लेकर जन जागरण भी किया जा रहा है। गांव-गांव में पोस्टर लगाया गया है। लेकिन दीपक पर इसका असर होता नहीं दिख रहा है। परिजनों के माध्यम से भी पुलिस ने सरेंडर करने का प्रयास किया, लेकिन दीपक ने अब तक हथियार नहीं डाला है।

साल 1994 में थामी बंदूक

पालागोंदी का रहने वाला दीपक उईके परिवार में सबसे बड़ा है और उसके अन्य चार भाई बिसन उईके, रमेश उईके, गणेश उईके और महेश उईके है। जानकारी में आया कि 1994 में दीपक ने माओवादी विचारधारा से प्रभावित होकर हाथ में बंदूक थाम ली थी और तब से वह परिजनों से दूर जंगल में नक्सली दलम में शामिल है। दीपक उईके का नाम शुरू में मंगल उईके था लेकिन अब वह दलम में दीपक उर्फ सुधाकर उर्फ मेहतर उईके के नाम से जाना जाता है।

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पत्नी की पुलिस मुठभेड़ में हो चुकी है मौत, बेटा मुख्यधारा में लौटा

लगभग 29 या 30 साल की उम्र से शामिल दीपक के अधिकांश साथियों ने पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया है या उनकी मौत हो गई है। दीपक की पत्नी सागन की पूर्व में ही पुलिस मुठभेड़ में मौत हो चुकी है। वहीं उसका बेटा संतोष दलम छोड़कर घर लौट गया, जो अब पालागोंदी गांव को छोड़कर छत्तीसगढ़ रहने चले गया है। एक तरह से पालागोंदी में दीपक का अब कोई आवास व परिवार नहीं रहा है। चार भाई और उनका पूरा परिवार जरूर यहां पर निवासरत है।

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परिजनों ने की आत्मसमर्पण की अपील

नक्सली दीपक उर्फ मंगल के परिवार के बीच पहुंचने पर उनके भाइयों से चर्चा की गई। जिसमें बिसन उईके, रमेश उईके, गणेश उईके और महेश उईके ने अपने भाई दीपक से नक्सलियों के बीच से बाहर आकर आत्मसमर्पण करने की अपील की है। परिजनों ने कहा कि पुलिस की ओर से भी उनपर सरेंडर कराने के लिए दबाव है। 4 साल पहले घर आया था और उसके बाद से कोई संपर्क नहीं है। वे चाहते हैं कि दीपक अगर सामने आए तो वह पत्रकार, आईजी कलेक्टर के माध्यम से उसे सरेंडर करा देंगे।

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