US Congress Modi Putin Selfie: व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा पर अब अमेरिका की ओर से प्रतिक्रिया आना शुरू हुई है. प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की एक सेल्फी को दिखाकर डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधा जा रहा है. अमेरिकी प्रतिनिधि सिडनी कैमलेगर-डव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मशहूर कार सेल्फी का जिक्र करते हुए कहा कि यह तस्वीर हजार शब्दों के बराबर है. डव ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दबाव डालने वाली नीतियों की एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है. उन्होंने दोनों देशों की समृद्धि और वैश्विक नेतृत्व के लिए अमेरिका-भारत साझेदारी को तत्काल सुधारने की आवश्यकता पर जोर दिया. भारत-अमेरिका संबंधों पर हुई कांग्रेस बहस में प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की यह कारपूलिंग तस्वीर बहुत प्रमुखता से दिखाई गई.
हाउस फॉरेन अफेयर्स साउथ एंड सेंट्रल एशिया सबकमेटी की सुनवाई के दौरान द यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप: सिक्योरिंग अ फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक विषय पर चर्चा की गई. इस दौरान कैमलेगर-डव ने कहा- भारत के प्रति ट्रंप की नीतियों को ‘अपनी नाक काटकर अपना ही नुकसान करने’ जैसा ही कहा जा सकता है. उन्होंने तर्क दिया कि प्रशासन की दबाव वाली नीति दोनों देशों के बीच रणनीतिक भरोसे और आपसी समझ को गंभीर और स्थायी नुकसान पहुँचा रही है. पोस्टर की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि यह पोस्टर हजार शब्दों के बराबर है. आप अपने रणनीतिक साझेदारों को हमारे विरोधियों की ओर धकेलकर नोबेल शांति पुरस्कार नहीं जीत सकते.
उन्होंने कहा कि यह मोमेंट वाशिंगटन के लिए चेतावनी का काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि स्पष्ट कर दूँ कि जब आप एक दबंग साझेदार बनते हैं, तो इसकी कीमत चुकानी पड़ती है. कांग्रेसवुमन ने सांसदों से अपील की कि वे अत्यधिक तत्परता के साथ कदम उठाएँ और इस प्रशासन द्वारा अमेरिका-भारत साझेदारी को हुए नुकसान की भरपाई करके स्थिर सहयोग की ओर लौटें. उन्होंने कहा- कांग्रेस दोनों पार्टियों के स्तर पर दांव को समझती है. और मैं इस मुद्दे को आज रिकॉर्ड पर लाने के लिए अध्यक्ष को धन्यवाद देती हूँ.
पुतिन की भारत यात्रा के बड़े मायने
बता दें कि, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पिछले सप्ताह 4-5 दिसंबर को दो दिन की यात्रा पर दिल्ली आए थे. इस यात्रा के दौरान पालम एयरपोर्ट पर उतरने के बाद प्रधानमंत्री मोदी के साथ कार में बैठे. इसे दोनों देशों ने व्यक्तिगत गर्मजोशी का संकेत बताया गया. दोनों नेताओं ने इससे पहले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन के दौरान भी एक कार साझा की थी, जब वे रूस में बनी औरूस सेडान में साथ बैठे थे. पुतिन लगभग शाम 7 बजे दिल्ली पहुँचे, जहाँ लाल कालीन स्वागत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने उनका हैंडशेक और गले लगकर स्वागत किया. इसके बाद दोनों नेता एक ही कार से प्रधानमंत्री के आवास लोक कल्याण मार्ग पर निजी डिनर के लिए रवाना हुए. यह पुतिन की 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत की पहली आधिकारिक यात्रा थी. इस यात्रा के दौरान भारत और रूस के बीच विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित कई समझौते हुए.
प्रमीला जयपाल ने भी उठाई चिंता
वहीं अमेरिकी कांग्रेस में अमेरिकी प्रतिनिधि प्रमीला जयपाल ने भी भारत-अमेरिका आर्थिक संबंधों और लोगों के बीच संपर्क पर व्यापारिक अवरोधों और आव्रजन नीतियों के प्रभाव को लेकर चिंता जताई. जयपाल ने दोनों देशों को प्रभावित करने वाली शुल्क संबंधी चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन टैरिफ का असर सीधे व्यवसायों और उपभोक्ताओं पर पड़ रहा है. उन्होंने कहा- हम अमेरिका और भारत दोनों में ही टैरिफ से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. ये टैरिफ भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचा रहे हैं और अमेरिकी व्यवसायों और उपभोक्ताओं को भी चोट पहुँचा रहे हैं.
ट्रंप ने भारत के चावल पर नए टैरिफ की चेतावनी दी
उनकी यह टिप्पणी उस समय आई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को भारत के चावल निर्यात पर नए टैरिफ लगाने की चेतावनी देते हुए आरोप लगाया कि भारत अमेरिकी बाजार में “सस्ते चावल की डंपिंग” कर रहा है और इससे अमेरिकी किसानों को नुकसान हो रहा है. ट्रंप ने यह बयान व्हाइट हाउस में हुई एक बैठक में दिया, जहां उन्होंने अमेरिकी कृषि उत्पादकों के लिए 12 अरब डॉलर के सहायता पैकेज की भी घोषणा की. अमेरिका इससे पहले अगस्त 2025 में भारत के अधिकांश सामान पर 50% शुल्क लगा चुका है, जो व्यापक व्यापार विवादों और भारत द्वारा रूसी तेल खरीद को लेकर उठी अमेरिकी चिंताओं के बीच लिया गया फैसला था. ट्रंप की ताज़ा चेतावनी ने मौजूदा कठिन बातचीत में और अनिश्चितता जोड़ दी है और दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ने का खतरा और गहरा हो सकता है. एक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधिमंडल 10-11 दिसंबर को बातचीत के लिए भारत में था, लेकिन बाजार तक पहुँच और शुल्क नीतियों पर मतभेदों के कारण वार्ता में विशेष प्रगति नहीं हो पाई, जिससे व्यापारिक संबंध और तनावपूर्ण हो गए हैं.
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