1980 से 2025 तक: 45 सालों में बीजेपी ने यूपी में किए ये बड़े प्रयोग, कुछ रहे हिट तो कुछ फ्लॉप
1980 से 2025 तक: 45 सालों में बीजेपी ने यूपी में किए ये बड़े प्रयोग, कुछ रहे हिट तो कुछ फ्लॉप
यूपी में बीजेपी ने संगठन के शुरुआत से लेकर अब तक कई प्रयोग किए.
यूपी में बीजेपी ने संगठन के शुरुआत से लेकर अब तक कई प्रयोग किए.
कभी लगातार ब्राह्मणों पर भरोसा जताया तो कभी विभिन्न बिरादरियों के हाथ में कमान सौंपी.
कभी लगातार ब्राह्मणों पर भरोसा जताया तो कभी विभिन्न बिरादरियों के हाथ में कमान सौंपी.
माधो प्रसाद त्रिपाठी- सन् 80 में बीजेपी के अध्यक्ष बने माधो वर्ष 1984 तक इस पद पर बने रहे. लोकसभा के सदस्य रहे माधो की ही अगुवाई में बीजेपी ने यूपी में अपनी जमीन बनाने की शुरुआत की.
माधो प्रसाद त्रिपाठी- सन् 80 में बीजेपी के अध्यक्ष बने माधो वर्ष 1984 तक इस पद पर बने रहे. लोकसभा के सदस्य रहे माधो की ही अगुवाई में बीजेपी ने यूपी में अपनी जमीन बनाने की शुरुआत की.
कल्याण सिंह- वह सन् 1984 से 1990 तक बीजेपी की यूपी इकाई के अध्यक्ष रहे.
कल्याण सिंह- वह सन् 1984 से 1990 तक बीजेपी की यूपी इकाई के अध्यक्ष रहे.
कलराज मिश्रा- को भी 6 वर्षों के लिए यूपी बीजेपी चीफ का जिम्मा सौंपा. वह सन् 1991 से 1997 तक अध्यक्ष पद रहे. यह वही दौर था जब राज्य में मंडल और कमंडल की सियासी लड़ाई ने रफ्तार पकड़ ली थी.
कलराज मिश्रा- को भी 6 वर्षों के लिए यूपी बीजेपी चीफ का जिम्मा सौंपा. वह सन् 1991 से 1997 तक अध्यक्ष पद रहे. यह वही दौर था जब राज्य में मंडल और कमंडल की सियासी लड़ाई ने रफ्तार पकड़ ली थी.
राजनाथ सिंह- वह 3 वर्षों के लिए राज्य इकाई के मुखिया बने. मार्च 1997 से जनवरी 2000 तक यूपी बीजेपी चीफ रहे राजनाथ 2 वर्षों तक साल 2002 तक सीएम रहे.
राजनाथ सिंह- वह 3 वर्षों के लिए राज्य इकाई के मुखिया बने. मार्च 1997 से जनवरी 2000 तक यूपी बीजेपी चीफ रहे राजनाथ 2 वर्षों तक साल 2002 तक सीएम रहे.
ओम प्रकाश सिंह- यूपी सरकार में बतौर काबीना मंत्री अपनी सेवाएं दे चुके कुर्मी समाज से आने वाले सिंह सात बार विधायक थे.
ओम प्रकाश सिंह- यूपी सरकार में बतौर काबीना मंत्री अपनी सेवाएं दे चुके कुर्मी समाज से आने वाले सिंह सात बार विधायक थे.
कलराज मिश्रा- के हाथ में कमान आई और वह 2 वर्षों तक यूपी बीजेपी चीफ थे. वर्ष 2000 से 2000 तक वह पार्टी की यूपी इकाई के मुखिया रहे.
कलराज मिश्रा- के हाथ में कमान आई और वह 2 वर्षों तक यूपी बीजेपी चीफ थे. वर्ष 2000 से 2000 तक वह पार्टी की यूपी इकाई के मुखिया रहे.
विनय कटियार- को पार्टी में यूपी का जिम्मा सौंपा. कुर्मी समाज से आने वाले विनय कटियार को राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में गिना जाता है.
विनय कटियार- को पार्टी में यूपी का जिम्मा सौंपा. कुर्मी समाज से आने वाले विनय कटियार को राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में गिना जाता है.
केशरीनाथ त्रिपाठी- जुलाई 2004 से सितंबर 2007 तक अध्यक्ष रहे केशरी नाथ त्रिपाठी यूपी विधानसभा के स्पीकर रहे और बाद में मिजोरम, बिहार (अतिरिक्त प्रभार) और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी बने.
केशरीनाथ त्रिपाठी- जुलाई 2004 से सितंबर 2007 तक अध्यक्ष रहे केशरी नाथ त्रिपाठी यूपी विधानसभा के स्पीकर रहे और बाद में मिजोरम, बिहार (अतिरिक्त प्रभार) और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी बने.
डॉ. रमापति राम त्रिपाठी- वर्ष 2007 से 2010 तक यूपी बीजेपी चीफ रहे राम पति राम त्रिपाठी देवरिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद भी रह चुके हैं.
डॉ. रमापति राम त्रिपाठी- वर्ष 2007 से 2010 तक यूपी बीजेपी चीफ रहे राम पति राम त्रिपाठी देवरिया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद भी रह चुके हैं.
सूर्य प्रताप शाही- के कंधों पर यूपी की जिम्मेदारी सौंपी. मई 2010 से 2012 के अप्रैल तक यूपी बीजेपी अध्यक्ष रहे शाही फिलहाल योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं.
सूर्य प्रताप शाही- के कंधों पर यूपी की जिम्मेदारी सौंपी. मई 2010 से 2012 के अप्रैल तक यूपी बीजेपी अध्यक्ष रहे शाही फिलहाल योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं.
लक्ष्मीकांत वाजपेयी- वाजपेयी चार वर्षों तक बीजेपी के अध्यक्ष रहे. इन्हीं के कार्यकाल में पहली बार बीजेपी ने यूपी के लोकसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल की थी.
लक्ष्मीकांत वाजपेयी- वाजपेयी चार वर्षों तक बीजेपी के अध्यक्ष रहे. इन्हीं के कार्यकाल में पहली बार बीजेपी ने यूपी के लोकसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल की थी.
केशव प्रसाद मौर्य- वर्ष 2014 के चुनाव में सांसद बने केशव केवल 1 साल तक अध्यक्ष रहे. केश अप्रैल 2016 से अगस्त 2017 तक अध्यक्ष रहे.
केशव प्रसाद मौर्य- वर्ष 2014 के चुनाव में सांसद बने केशव केवल 1 साल तक अध्यक्ष रहे. केश अप्रैल 2016 से अगस्त 2017 तक अध्यक्ष रहे.
महेंद्र नाथ पांडेय- पांडेय के कार्यकाल में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 62 सीटें हासिल की थी. जो वर्ष 2014 के चुनाव के मुकाबले 9 सीटें कम थीं.
महेंद्र नाथ पांडेय- पांडेय के कार्यकाल में वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 62 सीटें हासिल की थी. जो वर्ष 2014 के चुनाव के मुकाबले 9 सीटें कम थीं.
स्वतंत्र देव सिंह- वर्ष 2017 के मुकाबले बीजेपी की सीटें घटी थीं. कुर्मी समाज से आने वाले स्वतंत्र देव सिंह जुलाई 2019 से अगस्त 2022 तक अध्यक्ष रहे.
स्वतंत्र देव सिंह- वर्ष 2017 के मुकाबले बीजेपी की सीटें घटी थीं. कुर्मी समाज से आने वाले स्वतंत्र देव सिंह जुलाई 2019 से अगस्त 2022 तक अध्यक्ष रहे.
चौधरी भूपेंद्र सिंह- उत्तर प्रदेश विधानमंडल में विधान परिषद् के सदस्य सिंह की अगुवाई में बीजेपी वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के इंडिया अलायंस से बुरी तरह पिछड़ी और वह 33 सीटों पर सिमट गई.
चौधरी भूपेंद्र सिंह- उत्तर प्रदेश विधानमंडल में विधान परिषद् के सदस्य सिंह की अगुवाई में बीजेपी वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के इंडिया अलायंस से बुरी तरह पिछड़ी और वह 33 सीटों पर सिमट गई.