रायपुर। वर्ष 2015 में एक समारोह में फ़िल्म अभिनेता आमिर खान द्वारा एक वक्तव्य दिया गया था कि “पिछले कुछ समय से भारत मे असहिष्णुता का वातावरण निर्मित हो गया है जिसकी वजह से उनकी पत्नी के मन में भय व्याप्त रहता है एवं वे परिवार की सुरक्षा के लिए कही बाहर निवास करने के लिए कहतीं हैं, जिससे वे स्वयं भी सहमत हैं.” इस वक्तव्य से क्षुब्ध हो कर रायपुर के एक अधिवक्ता दीपक दीवान के द्वारा न्यायालय में आमिर खान के विरुद्ध भादवि की धारा 153 (क) एवं 153(ख) के अंतर्गत दण्डनीय अपराध करने का संज्ञान लेने न्यायालय में परिवाद दायर किया गया था.
केंद्रीय सरकार अथवा संबंधित राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी के अभाव में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, रायपुर द्वारा उक्त प्रस्तुत परिवाद निरस्त कर दिया गया था. अधिवक्ता दीपक दीवान द्वारा न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश को दाण्डिक पुनरीक्षण याचिका में चुनौती दी गई थी. न्यायालय द्वारा दाण्डिक पुनरीक्षण याचिका पंजीकृत करते हुए अभिनेता आमिर खान को नोटिस जारी किया गया एवं पुनरीक्षण याचिका को अंतिम सुनवाई हेतु स्वीकृत किया गया था. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, रायपुर लीना अग्रवाल के न्यायालय में अभिनेता आमिर खान की तरफ से अधिवक्ता आरके ग्वालरे एवं डीके ग्वालरे ने पैरवी करते हुए बचाव प्रस्तुत किया.
प्रतिरक्षा अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए सत्र न्यायाधीश द्वारा अपने आदेश दिनांक 13/11/2019 के द्वारा दाण्डिक पुनरीक्षण याचिका खारिज करते हुए यह अधिनिर्णीत किया गया कि केंद्रीय या संबंधित राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना परिवाद में आक्षेपित आरोपों के लिए संज्ञान नहीं लिया जा सकता एवं पूर्व में प्रस्तुत परिवाद में लगाये गए आरोप आरोपित अपराध के गठन के लिए पर्याप्त नहीं हैं. दाण्डिक पुनरीक्षण याचिका खारिज होने से फ़िल्म अभिनेता आमिर खान को बहुत बड़ी राहत मिली है.