अनमोल मिश्रा, सतना। आमतौर पर सभी शासकीय कार्यालयों, अस्पतालों में महिला व पुरुष के अलग-अलग शौचलय (Toilet) बनाए जाते हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के सतना के सरदार वल्लभ भाई पटेल जिला अस्पताल अपने अजीबोगरीब निर्णय को लेकर चर्चा में है। हॉस्पिटल प्रबंधन ने पुरुष सर्जिकल वार्ड का शौचालय बंद कर दिया है और यहां भर्ती होने वाले मरीजों को महिला प्रसाधन का उपयोग करने का निर्देश जारी कर दिया है। इस निर्णय से पुरुष मरीजों में नाराजगी है।

सतना के सरदार वल्लभ भाई पटेल जिला अस्पताल प्रबंधन ने अजीबोगरीब नोटिस चस्पा किया है। जिसमें पुरुष मरीजों को महिला प्रसाधन का इस्तेमाल करने की बात लिखी गई है। जिससे लोग अंदर जाने में झिझक महसूस कर रहे है। एक वजह है कि उन्हें दूसरे वार्ड तक जाने के लिए कई लोगों का सहारा चाहिए होता है और दूसरी वजह यह है कि महिला वार्ड के शौचालय में भीड़ रहती है, जिससे उन्हें इंतजार करना पड़ता है। अस्पताल प्रबंधन अपनी मजबूरी गिनाकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है, जबकि यहां पर व्यवस्थाएं दुरुस्त रखना उनकी जवाबदेही है।

पहले से ही ओवर बर्डन है शौचालय

उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल के महिला वार्ड नंबर 5 में करीब 40 बेड हैं और इतने ही मरीज जमीनों पर लेटे रहते हैं। कुल मिलाकर यहां का शौचालय पहले से ही ओवर बर्डन में है। अब नवीन व्यवस्था के अनुसार सर्जिकल वार्ड नंबर एक के इतने ही मरीजों का बोझ शौचालय पर आ चुका है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि मरीजों को कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा होगा। सर्जिकल वार्ड में अधिकांश वे मरीज भर्ती होते हैं जो एक्सीडेंट व मारपीट में गंभीर रूप से घायल होते हैं जो खुद चल नहीं पाते उन्हें सहारा देकर ले जाना पड़ता है। जिला अस्पताल में न तो इतने व्हीलचेयर हैं और न ही उन्हें स्ट्रेचर से वहां तक ले जाने वाला होता है। यदि किसी मरीज का तीमारदार कमजोर है या अकेला है तब वह कैसे अपने परिवार के सदस्य को शौचालय तक ले जाता होगा, इस परेशानी का अंदाजा लगाया जा सकता है।

निर्माण कार्य के चलते लिया फैसला

जिला अस्पताल प्रबंधन को ऐसी कोई दिक्कत महसूस नहीं होती। शायद इसीलिए उन्होंने यह अजीबोगरीब व्यवस्था तय कर दी है। अस्पताल के पुरुष सर्जिकल वार्ड के शौचालय को बंद करने की वजह प्रबंधन के मुताबिक पिछले छोर में चल रहा निर्माण कार्य है। कहा जाता है कि यहां काम कर रही ठेका कंपनी ने खुदाई की है, जिससे शौचालय की ड्रेनेज लाइन जाम हो गई है। ऐसे में शौचालय का उपयोग करने पर वार्ड में दुर्गंध का माहौल निर्मित हो जाता है।

यही वजह है कि व्यवस्था में परिवर्तन कर महिला वार्ड से जोड़ा गया है। अस्पताल प्रबंधन ने इस बात का आंकलन तो कर लिया लेकिन मरीजों की परेशानी को समझे बिना यह निर्णय लिया गया है। अगर कंपनी को काम करना था तो उसे ड्रेनेज लाइन को बहाल रखते हुए ही निर्माण करना चाहिए था या फिर वार्ड के अंदर कोई दूसरी वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए थी।

प्रभारी आरएमओ ने कही ये बात

जिला अस्पताल के प्रभारी आरएमओ अखिलेश खरे ने बताया कि नई बिल्डिंग का काम जारी है। ड्रेनेज सिस्टम में कुछ मलबा गिर गया है, जिससे बाथरूम बंद कर दिया गया है। मलबा निकालने का कार्य किया जा रहा है। ड्रेनेज सिस्टम ठीक होते ही शौचालय को शुरू कर दिया जाएगा।

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