पटना। बिहार में लागू शराबबंदी को लेकर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बयान ने नए सिरे से बहस छेड़ दी है। मांझी ने आरोप लगाया कि शराबबंदी के नाम पर दो तरह की कार्रवाई हो रही है एक गरीबों के लिए और दूसरी अमीरों के लिए। उनके मुताबिक इस नीति से सबसे अधिक प्रताड़ना गरीब वर्ग को झेलनी पड़ रही है।
शराबबंदी को बताया अच्छी पहल
हालांकि मांझी ने यह भी स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा शराबबंदी लागू करना एक अच्छी और साहसिक पहल थी। लेकिन इसके क्रियान्वयन में समानता और न्याय का अभाव दिखाई दे रहा है जिस पर गंभीरता से विचार किए जाने की जरूरत है। उनके इस बयान के बाद विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों ओर से प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है।
संतोष सुमन का पलटवार
मांझी के बयान पर बिहार सरकार के मंत्री और उनके बेटे संतोष सुमन ने अलग रुख रखा। उन्होंने कहा कि शराबबंदी से बिहार की जीडीपी को नुकसान नहीं हुआ बल्कि इसमें वृद्धि देखी गई है। उन्होंने दावा किया कि शराबबंदी के बाद राज्य में हिंसक घटनाओं में कमी आई है और विकास की रफ्तार लगातार बढ़ रही है।
कानून सबके लिए समान
संतोष सुमन ने यह भी कहा कि बिहार में कानून सबके लिए एक समान है और किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाता। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को फ्री हैंड दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी मंत्री अपने-अपने विभागों में स्वतंत्र हैं। यदि किसी स्तर पर कोई समस्या आती है तो मुख्यमंत्री स्वयं उस पर निर्णय लेते हैं।
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