बिलासपुर। सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल 19 वर्षीय युवक का सिम्स अस्पताल, बिलासपुर में सफल इलाज कर चिकित्सकों ने एक बार फिर अपनी विशेषज्ञता का परिचय दिया है। कोरबा जिले के पाली तहसील अंतर्गत ग्राम मुरली निवासी नंदकुमार पटेल को दुर्घटना के बाद अत्यंत गंभीर अवस्था में सिम्स लाया गया था। जांच में सामने आया कि युवक के चेहरे की दाहिनी ओर की लगभग सभी हड्डियां पूरी तरह चकनाचूर हो चुकी थीं।

चिकित्सकों के अनुसार दुर्घटना में युवक का दाहिना गाल, आंख के नीचे की हड्डी, ऊपरी व निचला जबड़ा तथा आंख के आसपास की हड्डियां बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थीं। चेहरा पूरी तरह विकृत अवस्था में था। प्राथमिक जांच के बाद मरीज का सीटी स्कैन कराया गया, जिसमें हड्डियों के अत्यधिक टूट-फूट की पुष्टि हुई। इस प्रकार की जटिल चोटों में हड्डियों को पुनः सही स्थिति में स्थापित करना एक बड़ी चुनौती माना जाता है।
सभी आवश्यक रक्त जांच और सीटी स्कैन के बाद 11 दिसंबर 2025 को ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया। दुर्घटना के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव होने के कारण ऑपरेशन के समय भी मरीज को रक्त चढ़ाना पड़ा। यह जटिल सर्जरी लगभग 6 से 7 घंटे तक चली।
इस सर्जरी की सबसे खास बात यह रही कि मरीज की उम्र और चेहरे की सुंदरता को ध्यान में रखते हुए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया गया। चिकित्सकों ने सिर के ऊपरी हिस्से में हेमी-कोरोनल इनसिजन तथा आंख के अंदर से ट्रांसकंजक्टाइवल इनसिजन देकर सर्जरी की। यह एक उन्नत पद्धति है, जिसमें चेहरे के ऊपर किसी प्रकार का बाहरी चीरा नहीं लगाया जाता, जिससे भविष्य में कोई दाग-धब्बा नहीं रहता।
टूटी हुई हड्डियों को उनकी सही स्थिति में स्थापित करने के लिए कुल 10 प्लेट्स और 35 स्क्रू का उपयोग किया गया। इसके माध्यम से चेहरे की संरचना को सफलतापूर्वक पुनः आकार दिया गया। सर्जरी के बाद मरीज की स्थिति स्थिर बताई जा रही है और सामान्य जीवन की ओर लौटने की उम्मीद जताई गई है।

इस जटिल ऑपरेशन को सफल बनाने में दंत चिकित्सा विभाग, निश्चेतना विभाग एवं रेडियोलॉजी विभाग के चिकित्सकों की संयुक्त टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सर्जरी दंत चिकित्सा विभाग के डॉ. भूपेंद्र कश्यप के निर्देशन में की गई। ऑपरेशन टीम में ओरल एवं मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप प्रकाश, डॉ. केतकी किनिकर, डॉ. हेमलता राजमनी, डॉ. प्रकाश खरे और डॉ. सोनल पटेल शामिल रहे।
निश्चेतना विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. मधुमिता मूर्ति के नेतृत्व में एनेस्थीसिया टीम, नर्सिंग स्टाफ और मेजर ओटी के कर्मचारियों का भी उल्लेखनीय योगदान रहा। वहीं रेडियोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अर्चना सिंह ने जांच और तकनीकी सहयोग प्रदान किया।
इस उपलब्धि पर छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) के डीन डॉ. रमणेश मूर्ति तथा संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक डॉ. लखन सिंह ने सभी संबंधित विभागों की सराहना करते हुए उनका उत्साहवर्धन किया। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों के समर्पण और टीमवर्क के कारण सिम्स लगातार चिकित्सा क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।
यह सफल सर्जरी न केवल चिकित्सा विज्ञान की उन्नति को दर्शाती है, बल्कि गंभीर रूप से घायल मरीजों के लिए नई उम्मीद भी लेकर आई है।
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