दिल्ली में कृषि भूमि(Delhi Agriculture Land) की कीमतें जल्द ही आसमान छू सकती हैं। करीब 17 साल के लंबे इंतजार के बाद दिल्ली सरकार कृषि भूमि के सर्किल रेट को रिवाइज करने की तैयारी में है। ड्राफ्ट प्रस्ताव के मुताबिक, कुछ इलाकों में मौजूदा सर्किल रेट की तुलना में 8 गुना तक बढ़ोतरी के संकेत मिले हैं। अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो राजधानी की ग्रामीण पट्टी में जमीनों की वैल्यूएशन पूरी तरह बदल जाएगी, जिसका सीधा असर खरीद-बिक्री, मुआवज़ा और रजिस्ट्री दरों पर पड़ेगा।

क्यों हो रहा है यह बड़ा बदलाव?

साल 2008 के बाद से दिल्ली में कृषि भूमि का सर्किल रेट फ्रीज था और पूरे राजधानी क्षेत्र में यह एकसमान 53 लाख रुपये प्रति एकड़ निर्धारित था। हालांकि, बीते वर्षों में तेज़ शहरीकरण के चलते कृषि भूमि की मार्केट वैल्यू कई गुना बढ़ चुकी है। सरकार ने 2023 में सर्किल रेट बढ़ाने का ऐलान जरूर किया था, लेकिन प्रशासनिक अड़चनों के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका। अब राजस्व विभाग ने पिछले दो महीनों के दौरान किसानों, कृषि संगठनों और अन्य स्टेकहोल्डर्स के साथ लगातार बैठकें कीं। इन विमर्शों के बाद यह निर्णय लिया गया कि कृषि भूमि के सर्किल रेट रिविजन को प्राथमिकता दी जाए। एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, “मार्केट में जमीनें बेहद ऊंचे दामों पर बिक रही हैं, लेकिन स्टांप ड्यूटी अब भी पुराने सर्किल रेट पर लग रही है। इससे सरकार को बड़े पैमाने पर राजस्व नुकसान हो रहा है।”

नई कीमतें कितनी होंगी?

ड्राफ्ट प्रस्ताव में अब यूनिफॉर्म सर्किल रेट की जगह लोकेशन-आधारित वैरिएशन का प्रावधान किया गया है। इसके तहत चुनिंदा इलाकों में कृषि भूमि का सर्किल रेट 5 करोड़ रुपये प्रति एकड़ तक पहुंच सकता है। जहां बड़े और लगातार कृषि भूखंड अब भी मौजूद हैं, वहां बढ़ोतरी अपेक्षाकृत ज्यादा होगी, जबकि शहरीकरण की चपेट में आए गांवों में यह बढ़ोतरी कुछ हद तक सीमित रह सकती है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली के 200 से अधिक गांवों में करीब 50,000 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि अब भी मौजूद है। इनमें तिगीपुर, खंपुर, हमीदपुर, झांगोला, बैंकनर, नजफगढ़, बिजवासन और धिचाऊ कलां जैसे प्रमुख इलाके शामिल हैं। ड्राफ्ट तैयार करते समय पड़ोसी राज्यों के सर्किल रेट और मार्केट वैल्यू का भी अध्ययन किया गया है, ताकि दरों में संतुलन और वास्तविकता बनी रहे।

किसानों की मांग और सरकारी प्लान

अक्टूबर में किसानों के साथ हुई बैठकों के दौरान उन्होंने कृषि भूमि के सर्किल रेट को 5 से 8 करोड़ रुपये प्रति एकड़ तक तय करने की मांग रखी थी। यह मांग रोड कनेक्टिविटी, आसपास के इंफ्रास्ट्रक्चर और लोकेशन को आधार बनाकर की गई। सरकार अब ड्राफ्ट में नियमित अंतराल पर सर्किल रेट रिविजन का प्रावधान जोड़ने पर भी विचार कर रही है, ताकि लंबे समय तक दरें फ्रीज न रहें और मार्केट वैल्यू से तालमेल बना रहे। अधिकारियों का मानना है कि इससे प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन से जुड़े विवादों में कमी आएगी और पारदर्शिता बढ़ेगी।

बड़ा ओवरहॉल का हिस्सा

यह प्रक्रिया सिर्फ कृषि भूमि तक सीमित नहीं है। 28 अक्टूबर 2025 के आदेश के तहत गठित एक कमेटी रेजिडेंशियल, कमर्शियल और इंडस्ट्रियल प्रॉपर्टीज के 2014 में तय किए गए सर्किल रेट्स की भी समीक्षा कर रही है। इस कमेटी में MCD, NDMC और DDA समेत कई विभागों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जो पिछले पांच साल के प्रॉपर्टी ट्रांजेक्शन डेटा और मौजूदा मार्केट ट्रेंड्स का विश्लेषण कर रहे हैं। हालांकि, अधिकारियों के मुताबिक मौजूदा चरण में कृषि भूमि को अलग से प्राथमिकता दी गई है, क्योंकि इस सेक्टर में सर्किल रेट और वास्तविक बाजार कीमतों के बीच का अंतर सबसे ज्यादा माना जा रहा है।

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