टिकेश्वर लोधी, आरंग। छत्तीसगढ़ में सुशासन और नियमों की दुहाई देने वाली सरकार के दावों को आरंग का नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) आईना दिखा रहा है. विभाग के स्थानांतरण आदेश को ताक पर रखकर एक केंद्र प्रभारी महीनों बाद भी अपनी कुर्सी से टस से मस नहीं हुए हैं. यह स्थिति तब है जब क्षेत्र के राशन दुकानों में खराब चावल वितरण की शिकायतें चरम पर हैं.

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सरकारी आदेशों के मुताबिक, आरंग केंद्र प्रभारी भरतपुरी गोस्वामी का तबादला लगभग एक महीने पहले राजधानी रायपुर से मोहला-मानपुर जिला के लिए कर दिया गया था. सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत स्थानांतरण आदेश के एक सप्ताह के भीतर नई पदस्थापना पर कार्यभार ग्रहण करना अनिवार्य होता है. लेकिन, हैरानी की बात यह है कि गोस्वामी आज भी आरंग में ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

7-8 सालों से एक ही स्थान पर कब्जा

नियमों के अनुसार, संवेदनशील विभागों में किसी भी कर्मचारी की एक ही स्थान पर पदस्थापना की एक निश्चित समय सीमा होती है ताकि पारदर्शिता बनी रहे. परंतु, भरतपुरी गोस्वामी पिछले 07 से 08 वर्षों से आरंग में ही जमे हुए हैं. एक ही स्थान पर इतने लंबे समय तक टिके रहना विभाग की कार्यप्रणाली और उच्च अधिकारियों की भूमिका पर भी संशय पैदा करता है.

खराब चावल वितरण और भ्रष्टाचार के आरोप

पिछले कई महीनो से आरंग क्षेत्र की सरकारी राशन दुकानों से लगातार घटिया और खराब गुणवत्ता वाले चावल के वितरण की शिकायतें सामने आ रही हैं. जनता का आरोप है कि केंद्र प्रभारी की शह पर राशन दुकानों में निम्न स्तर का अनाज खपाया जा रहा है. स्थानांतरण के बावजूद उनका पद से न हटना इन संदेहों को और पुख्ता करता है कि क्या किसी “बड़े संरक्षण” के चलते नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं?

क्या कहते हैं नियम?

सिविल सेवा नियम: स्थानांतरण आदेश जारी होने के बाद यदि कोई कर्मचारी कार्यमुक्त नहीं होता है, तो इसे ‘अनुशासनहीनता’ माना जाता है.

पारदर्शिता का अभाव: नान (NAN) जैसे महत्वपूर्ण विभाग में, जो सीधे जनता के निवाले से जुड़ा है, एक ही व्यक्ति का वर्षों तक एक ही केंद्र पर रहना भ्रष्टाचार की संभावनाओं को बढ़ाता है.

प्रशासनिक विफलता: जिला प्रशासन और विभाग के आला अधिकारियों द्वारा अब तक उन्हें ‘रिलीव’ न करना शासन की ढुलमुल कार्यशैली को दर्शाता है.

प्रभारी डीएम ने कही यह बात

इस मामले में प्रभारी डीएम अल्का शुक्ला से जब हमारे लल्लूराम संवाददाता टुकेश्वर लोधी ने मोबाइल के संपर्क किया तब उन्होंने बताया कि उन्हें प्रभार लिए 2-3 दिन ही हुए है.उन्होंने आश्वस्त करते हुए कहा कि जिनका ट्रांसफर हो चुका है वो अबतक कैसे रुके हुए हैं इसकी जानकारी लेती हूं. पूर्व में जो भी आदेश जारी हुआ है, उसका पालन किया जाएगा.